Sunday, 8 May 2011

भारत के लिए तो लादेन से ज्यादा लश्कर खतरनाक है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 07 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
ओसामा बिन लादेन के मरने से बेशक अमेरिका ने थोड़ी राहत महसूस की हो पर जहां तक भारत का सवाल है, हमें लादेन के मरने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं। हमारे लिए तो लश्कर-ए-तोयबा अलकायदा से ज्यादा बड़ा खतरा है। बिन लादेन से पाकिस्तान का आतंकी ढांचा भी प्रभावित नहीं होगा। आज भी पाकिस्तान में लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, हरकत उल अंसार जैसे दर्जनों आतंकी संगठनों के शिविर जारी हैं। इस समय पाकिस्तान में लगभग 37 आतंकी शिविर मौजूद हैं। जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हार्ड कोर आतंकियों की संख्या लगभग 2300 है। इसके अलावा लगभग 900 से अधिक भाड़े के विदेशी आतंकी भी मौजूद हैं। जम्मू-कश्मीर में इस समय पाकिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर, अफगानिस्तान, मिस्र, सूडान, यमन, बहरीन, बंगलादेश, ईरान और इराकी मूल के विदेशी आतंकी मौजूद हैं।
दरअसल भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर में ओसामा के अलकायदा और लश्कर-ए-तोयबा के बीच कोई अन्तर नहीं है। लश्कर पर भारतीय डोजियर कहता है कि इस आतंकी संगठन के अलकायदा और तालिबान से गहरे रिश्ते हैं। इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान में ईद समेत धार्मिक समारोहों में मारे जाने वाले जानवरों की खालों से करोड़ों रुपये कमाने के अलावा चन्दे व सदस्यता शुल्क, आदि से अपने विस्तार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करते हैं। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के मनशेरा में पवनोढेरी में मौजूद लश्कर का प्रशिक्षण केंद्र एक बार में 500 लोगों को प्रशिक्षण देता है। मुजफ्फराबाद, लाहौर, पेशावर, इस्लामाबाद, रावलपिण्डी, कराची, मुल्तान, क्वेटा, गुजरांवाला, सियालकोट, गिलगित समेत कई बड़े शहरों में लश्कर के 2000 से ज्यादा भर्ती केंद्र और दफ्तर हैं। उनके पास आधुनिक हथियारों के साथ ही उन्नत संचार यंत्र भी हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक घाटी में फिरौती और संचार के लिए लश्कर के आतंकी वाइस इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण मोबाइल फोन पर नम्बर तक नहीं आता।
संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध के बावजूद जमात-उद-दावा और लश्कर समेत 19 अलग-अलग नामों से चल रहे इस आतंकी संगठन का कारोबार इसकी ताकत का अहसास कराता है। संयुक्त राष्ट्र में लश्कर के 2005 और पाकिस्तान में 2002 से प्रतिबंध होने के बावजूद इसका मुखिया हाफिज सईद ओसामा बिन लादेन की मौत पर शोक सभाएं आयोजित करने से बाज नहीं आया। भारत में सिमी, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के सहारे आतंकवाद को आउटसोर्सिंग का मॉडल भी लश्कर विकसित कर चुका है। बंगलादेश में जमात उल मुजाहिद्दीन और हरकत उल जिहाद अल इस्लामी (हूजी) के तार भी लश्कर से सीधे जुड़े हुए हैं। मुंबई आतंकी हमले ने अमेरिका को भी अब यह मानने पर मजबूर कर दिया है कि लश्कर का विस्तार और पश्चिमी देशों को निशाना बनाने की उनकी हसरतें खतरे का सबब हैं। लश्कर आतंकियों ने मुंबई हमले में इजरायलियों के लिए महत्वपूर्ण खसड़ हाउस और पश्चिमी पर्यटकों के पसंदीदा होटल ताज होटल को निशाना बनाकर इसकी बानगी भी दे दी है। भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी ही लड़ाई लड़नी होगी। हां, हम अमेरिका पर यह दबाव जरूर डाल सकते हैं कि वह पाकिस्तान में मौजूद टेरर फैक्टरियों को नष्ट करे या हमारी मदद करे।

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