नई दिल्ली के अतिसंवेदनशील इलाके में बुधवार को हाई कोर्ट परिसर में बम धमाके ने हड़कम्प मचा दिया है। हड़कम्प इसलिए नहीं मचा कि बम बहुत शक्तिशाली था और परिणामस्वरूप बहुत ज्यादा जानमाल का नुकसान हुआ पर इसलिए ज्यादा मचा कि वह ऐसी जगह फटा जो नई दिल्ली में सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाका माना जाता है। दिल्ली हाई कोर्ट की कैंटीन में फटा हो या पार्किंग में यह क्षेत्र अतिसुरक्षित माना जाता है। इसके दो-चार किलोमीटर के दायरे में राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ-साउथ ब्लॉक, संसद सभी महत्वपूर्ण ठिकाने आते हैं। जहां बम फटा वह मुश्किल से नेशनल डिफेंस कॉलेज से एक किलोमीटर दूर है। याद रहे कि शिकागो में चल रहे डेविड हेडली के मुकदमे में उसने यह बताया कि दिल्ली डिफेंस कॉलेज आतंकियों के निशाने पर है। दुःखद पहलू यह भी है कि आईबी ने वार्निंग दी थी कि ओासमा बिन लादेन के मारे जाने से आतंकी बौखला गए हैं और वह बदला ले सकते हैं। चार दिन पहले नई दिल्ली रेलवे स्टेशन इंचार्ज को डाक के माध्यम से एक पत्र भी मिला था जिसमें लश्कर-ए-तोयबा के नाम से किसी अज्ञात संगठन ने यह लिखा था कि वह ओसामा बिन लादेन की मौत का बदला लेने के लिए भारत में बम धमाके करेगा। पत्र में 25 मई की शाम 5 बजे का समय भी दिया गया था और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, चिड़ियाघर, लाल किला और एयरपोर्ट को निशाना बनाने की धमकी भी दी थी। इस पत्र में कानपुर, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, नागपुर, गाजियाबाद, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी हमले की बात लिखी गई है। पत्र में करीम अंसारी नाम लिखा है जो अपने आपको जम्मू-कश्मीर में लश्कर का कमांडर बता रहा है।
मेरा मानना है कि ऐसे मामलों में पुलिस कुछ ज्यादा नहीं कर सकती। कोसने को तो हम दिल्ली पुलिस को कोस सकते हैं पर सवाल यह है कि दिल्ली जैसे शहर में जहां लाखों आदमियों का रोज का आना-जाना है ऐसे कूड बम हादसे को रोकना लगभग असम्भव है। हां कोई संसद हमले, मुंबई हमले जैसी वारदात को रोका जा सकता है पर ऐसे छोटे-मोटे बम विस्फोटों को रोक पाना अति कठिन है। सवाल उठता है कि आखिर इस विस्फोट का मकसद क्या था? क्या यह आतंकी अपनी ताकत दिखाना चाहते थे या फिर यह किसी बड़े हमले का ड्रेस रिहर्सल था? करीब सवा दो साल की चुप्पी के बाद जिस तरह हाई कोर्ट के बाहर कम तीव्रता का विस्फोट रखा गया उससे इतना तो साफ है कि उनका मकसद किसी को हताहत करने का नहीं था। वे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं तक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि हम अब भी उतना ही सक्रिय हैं। बेशक बम कम विस्फोट क्षमता का था पर अगर इसे भीड़ वाली जगह पर रखा गया होता तो काफी नुकसान हो सकता था। आजकल पटियाला हाउस व पास ही पटियाला हाउस कोर्ट में राजा, शाहिद बलवा, कनिमोझी जैसी बड़ी हस्तियां विभिन्न मामलों में सुनवाई के लिए आ रही हैं। इसलिए सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। इसलिए ज्यादा सतर्पता की जरूरत है। आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं और वह कोई बड़ी वारदात करने की तैयारी में हैं। यह तो रिहर्सल थी, असल हमला अभी आगे आ सकता है।
मेरा मानना है कि ऐसे मामलों में पुलिस कुछ ज्यादा नहीं कर सकती। कोसने को तो हम दिल्ली पुलिस को कोस सकते हैं पर सवाल यह है कि दिल्ली जैसे शहर में जहां लाखों आदमियों का रोज का आना-जाना है ऐसे कूड बम हादसे को रोकना लगभग असम्भव है। हां कोई संसद हमले, मुंबई हमले जैसी वारदात को रोका जा सकता है पर ऐसे छोटे-मोटे बम विस्फोटों को रोक पाना अति कठिन है। सवाल उठता है कि आखिर इस विस्फोट का मकसद क्या था? क्या यह आतंकी अपनी ताकत दिखाना चाहते थे या फिर यह किसी बड़े हमले का ड्रेस रिहर्सल था? करीब सवा दो साल की चुप्पी के बाद जिस तरह हाई कोर्ट के बाहर कम तीव्रता का विस्फोट रखा गया उससे इतना तो साफ है कि उनका मकसद किसी को हताहत करने का नहीं था। वे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं तक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि हम अब भी उतना ही सक्रिय हैं। बेशक बम कम विस्फोट क्षमता का था पर अगर इसे भीड़ वाली जगह पर रखा गया होता तो काफी नुकसान हो सकता था। आजकल पटियाला हाउस व पास ही पटियाला हाउस कोर्ट में राजा, शाहिद बलवा, कनिमोझी जैसी बड़ी हस्तियां विभिन्न मामलों में सुनवाई के लिए आ रही हैं। इसलिए सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। इसलिए ज्यादा सतर्पता की जरूरत है। आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं और वह कोई बड़ी वारदात करने की तैयारी में हैं। यह तो रिहर्सल थी, असल हमला अभी आगे आ सकता है।
Tags: Delhi High Court, Bomb Blast, Red Fort, Airport, Anil Narendra, Vir Arjun, Daily Pratap,
No comments:
Post a Comment