बहुजन
समाज पार्टी (बसपा) ने शुक्रवार को 58 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दिल्ली विधानसभा
चुनाव में अपनी उपस्थिति जाहिर करने का प्रयास किया है। आश्चर्य इस बात का है कि
जिस पार्टी की सुप्रीमो खुद महिला हैं उसी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में
मात्र एक महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है। एक मात्र महिला प्रत्याशी रितु सिंह को
नई दिल्ली सीट से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। अब
शीला दीक्षित बनाम हर्षवर्धन बनाम अरविंद केजरीवाल बनाम रितु सिंह का मुकाबला
होगा। अभी सपा और कई और पार्टियां बची हैं। हालांकि इस बार दोनों वर्तमान बसपा
विधायक टिकट के दंगल से बाहर हैं। बदरपुर के बसपा विधायक रामसिंह नेता जी कांग्रेस
में शामिल हो चुके हैं तो गोकलपुर के बसपा विधायक सुरेन्द्र कुमार का टिकट काट
दिया गया है। बसपा के तीन पार्षदों पुष्पराज को किराड़ी से, सही राम को तुगलकाबाद
से और चौधरी बलराज को गोकुलपुर से टिकट दिया गया है। इसके अलावा एक महिला पार्षद
सुदेशवती के पति मदन मोहन पालम विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। सुदेशवती निगम चुनाव
में 10056 वोटों के अंतराल से, सही राम 4019 से, चौधरी बलराज 2556 से और पुष्पराज
मात्र 563 वोटों के अंतराल से चुनाव जीते थे। इनके अलावा 11 मुस्लिम प्रत्याशियों
को भी सूची में शामिल किया गया है। बसपा के प्रदेश प्रभारी एमएल तोमर का कहना है
कि हमारे प्रत्याशी जल्द ही नामांकन प्रक्रिया शुरू कर देंगे और अपने-अपने
विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की तैयारियां करेंगे। बसपा दरअसल 2008 के विधानसभा
चुनावों का फायदा आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुनाने की उम्मीद कर रही है।
2008 के विधानसभा चुनावों में मतों में 14 प्रतिशत ही हिस्सेदारी करके तीसरे स्थान
पर आकर हैरानी में डालने वाली बसपा की अध्यक्ष मायावती दिल्ली में अपनी परफारमेंस
को आगे बढ़ाना चाहती है। 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए बसपा का दिल्ली में अपनी
उपस्थिति दर्ज करना अच्छा संकेत रहेगा। हालांकि पिछले चुनाव में और इस बार के
चुनाव में एक फर्प आया है। अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी का असर दलित वर्गों पर
ज्यादा बढ़ा है और यही है बसपा का वोट बैंक। हालांकि बसपा के दिल्ली प्रभारी राम अचल
राजभर ने कहा कि हम सभी 70 सीटों पर लड़ेंगे और कड़ी टक्कर देंगे। बसपा का प्रयास
है कि पारंपरिक दलित वोट बैंक में मुस्लिमों, अनुसूचित जातियों, जनजातियों को भी
जोड़ें। इसके लिए बहन जी राजधानी में कई चुनावी रैलियां करेंगी। 1998 में पार्टी
को लगभग 3 प्रतिशत वोट मिले थे जो वर्ष 2003 में बढ़कर 9 प्रतिशत, वर्ष 2008 में
वोटों में हिस्सेदारी बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई। उस समय पार्टी के हिस्से में
8,67,672 वोट आए थे। तब कांग्रेस पहले 40.31 प्रतिशत, भाजपा दूसरे 26.84 प्रतिशत
और बसपा तीसरे स्थान पर आई थी। बसपा के हिस्से में दो सीटें आई थीं और कम से कम
पांच सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही। इस बार पार्टी को 20 प्रतिशत वोट मिलने और
ज्यादा सीटों की उम्मीद है। राजभर ने कहा कि दिल्ली का मतदाता दोनों कांग्रेस और
भाजपा से नाखुश है इसलिए वह बसपा को वोट देगा।
-अनिल नरेन्द्र
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