Friday 8 November 2013

राहुल गांधी के विवादास्पद बयानों से उनका व पार्टी का ग्रॉफ गिरा है

कांग्रेस रणनीतिकारों के लिए यह एक गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए कि उनके उपाध्यक्ष और सम्भावित पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्रॉफ लगातार गिरता जा रहा है। आज वह भाजपा पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के सामने कहीं नहीं ठहर रहे हैं। इसकी वजह खुद राहुल गांधी और उनके सलाहकार हैं। जब राहुल मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ित युवकों को आईएसआई के सम्पर्प में होने का बेतुका बयान दें तो ऐसा ही होगा। उनका दावा है कि एक आईबी अधिकारी ने उन्हें यह जानकारी उनके कमरे में आकर दी। इस बयान को चुनाव आयोग ने गम्भीरता से लिया है और उन्हें अब सात दिन की जगह चार दिनों में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है। अब कांग्रेस उपाध्यक्ष को आठ नवम्बर तक अपने दिए गए बयानों के संबंध में आयोग को स्पष्टीकरण देना होगा। इस संबंध में चुनाव आयोग कार्यालय ने जानकारी दी कि शिकायत पत्र और जांच के बाद साफ है कि ऐसा बयान चुनावों के मद्देनजर गम्भीर है नतीजतन मामले में ज्यादा समय नहीं दिया जा सकता। कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने संवाददाताओं से कहा कि आयोग का नोटिस श्री गांधी को 25 अक्तूबर को रात में मिला था। इसके बाद दो दिन दीपावली थी, इसलिए आयोग से जवाब देने के लिए सात दिन का अतिरिक्त समय मांगा गया। रिपोर्टों के अनुसार राहुल गांधी ने 23 अक्तूबर को राजस्थान के चुरू और अगले दिन मध्यप्रदेश के इंदौर में अपनी चुनौती रैलियों में भाजपा पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी इंटरसर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित कुछ मुसलमान युवकों से सम्पर्प कर रही है। भाजपा ने आयोग से अपनी शिकायत में श्री गांधी के इस कथन को आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। इस पर आयोग ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के भाषणों का अध्ययन करने के  बाद उनसे पूछा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? भाजपा ने मुख्य निर्वाचन आयोग से यह भी शिकायत की थी कि आईबी एक सरकारी गोपनीय विभाग है और वह पीएमओ और गृह मंत्रालय के अधीन है। नतीजतन अगर कोई भी आईबी अधिकारी किसी भी मामले में कांग्रेस उपाध्यक्ष को ऐसी जानकारी देता है तो वह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करता है। यही नहीं ऐसे बयान चुनावी मंच से सार्वजनिक नहीं किए जा सकते। चुनाव आयोग ने अब कहा है कि तय अवधि के भीतर अगर जवाब नहीं मिला तो माना जाएगा कि राहुल के पास जवाब में कहने के लिए कुछ नहीं है और ऐसे में आयोग आगे बिना किसी उल्लेख के उचित कार्रवाई आरम्भ करेगा। अब तो कांग्रेसी मंत्रियों में भी राहुल की शैली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। एक विदेशी समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी को आने वाले चुनाव पर फोकस करना चाहिए जबकि राहुल आगे की ज्यादा सोच रहे हैं। राहुल सिस्टम की बात करते हैं, ढांचे की बात करते हैं, इसे बदलने की बात करते हैं जबकि चुनाव सिर पर हैं। रमेश से पूछे गए सवाल बीजेपी से पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस पार्टी के लिए वो किस नजरिये से देखते हैं, का जवाब देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन मोदी उनकी पार्टी के लिए कोई खतरा नहीं हैं। नरेन्द्र मोदी ने तो अपनी पार्टी को ही हाशिये पर कर दिया है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment