Tuesday, 26 November 2013

एक साल बीत गया कहां पहुंची पोंटी चड्ढा केस की तफ्तीश?

एक साल पहले दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके में एक फार्म हाउस में एक अत्यंत सनसनीखेज खूनी खेल हुआ था। प्रॉपर्टी विवाद को लेकर दोनों तरफ से हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में शराब के सबसे बड़े कारोबारी गुरदीप सिंह चड्ढा उर्प पोंटी चड्ढा (55) और उनके भाई हरदीप चड्ढा की मौत हो गई थी। पोंटी चड्ढा हत्याकांड मामले में एक वर्ष बीतने के बाद अब जल्द ही अभियोग तय होने के आसार बन रहे हैं। 22 में से 21 आरोपियों के वकीलों ने अपना-अपना पक्ष रख दिया है। अब मात्र मुख्य आरोपी सुखदेव सिंह नामधारी का पक्ष आने से दिसम्बर में तय हो जाएगा कि सभी अभियुक्तों के खिलाफ केस किस-किस धारा में  चलेगा। मुख्य आरोपी उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन पद से हटाए गए सुखदेव सिंह नामधारी ने स्वयं को निर्दोष बताया है। शुक्रवार को साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीके यादव के समक्ष आरोपियों के खिलाफ अभियोग तय करने के मुद्दे पर सुनवाई आरम्भ करते हुए अधिवक्ता केके मेनन ने कहा कि नामधारी की रिवाल्वर से जो गोली चली है, उसका मिलान चड्ढा बंधुओं के शरीर से निकली गोली से नहीं हुआ है। इसी प्रकार उनके पीएसओ सचिन त्यागी द्वारा चलाई  गई गोली भी उन्हें नहीं लगी। वहीं पुलिस ने हरदीप के गनमैन व पंजाब से मिले पीएसओ के हथियार सीज नहीं किए। दोनों की गोली से ही चड्ढा बंधुओं की मौत हुई है जबकि उनके मुवक्किल पर हत्या का आरोप जड़ दिया गया है। नामधारी ने ही मामले की प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। पुलिस ने रोजनामचे में रिक्त स्थान छोड़कर बाद में उनके मुवक्किल के खिलाफ दूसरी शिकायत लिख दी। गोलीबारी में घायल नरेन्द्र का बयान भी दर्ज नहीं किया गया। फार्म हाउस पोंटी की फर्म के नाम था। ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं है कि पोंटी ने कब फार्म हाउस हरदीप को दिया था। 17 नवम्बर 2012 की सुबह हुए इस हत्याकांड में पुलिस ने नौ महीने पहले आरोप पत्र दाखिल किया था। पुलिस ने अभियोग तय करने के मुद्दे पर जिरह पूरी कर ली है। आरोप पत्र पर पोंटी को भी भाई हरदीप सिंह चड्ढा की हत्या व फार्म हाउस में कब्जे के षड्यंत्र में आरोपी बनाया है। पोंटी की मौत होने से उसके खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा। बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि भाइयों के बीच सम्पत्ति विवाद के चलते बातचीत नहीं होती थी। अभियोजन पक्ष ने कहा कि सम्पत्ति का विवाद 16 नवम्बर की रात में नहीं सुलझ पाया था, इसलिए सम्पत्ति को किसी तरीके से हासिल करने की वजह से दोनों भाइयों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें दोनों भाई मारे गए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि हरदीप घटनास्थल पर पहुंचे थे और जब पोंटी के लोग गेट खोल रहे थे तभी हरदीप ने उन पर और पोंटी पर भी गोलियां चलाना शुरू कर दिया था। अभियोजन पक्ष का कहना है कि पोंटी के भाई हरदीप के फार्म हाउस पर जबरन कब्जा करने के लिए मुख्य रूप से नामधारी व स्वयं पोंटी ने षड्यंत्र रचा था। इस काम में नामधारी के गुर्गे भी लिप्त हैं। पोंटी के कहने पर ही नामधारी अपने गुर्गों के साथ उत्तराखंड से आया था। इन सभी ने पोंटी से बात की और छतरपुर व बिजवासन में फार्म हाउस पर कब्जे का षड्यंत्र रचा। सभी अभियुक्त खतरनाक हथियारों से लैस होकर फार्म हाउस पहुंचे व इस घटना को अंजाम दिया। नामधारी व सचिन त्यागी ने पहले से ही तय कर लिया था कि विरोध करने वालों की हत्या कर दी जाएगी। इसी कारण उन्होंने हरदीप की हत्या कर दी। नामधारी ने हरदीप पर तीन गोलियां चलाईं जबकि त्यागी ने ऑटोमैटिक कार्बाइन से गोलियां चलाईं। पोंटी चड्ढा परिवार और हरदीप चड्ढा परिवार आज एक साथ खड़ा है। इस केस से जुड़े दोनों परिवार बेहिसाब दौलत की खातिर दुश्मनी भुलाकर एक साथ आ गए हैं। पोंटी ने अपने पीछे करीब 25 हजार करोड़ रुपए की विरासत छोड़ी। दोनों भाइयों की पहली बरसी पर वे एक साथ इकट्ठे हुए।अब वे साथ-साथ कारोबार संभाल रहे हैं। ग्रुप के प्रवक्ता रवि सोढी कहते हैं, हादसे के शिकार दोनों हुए। अब वे साथ-साथ हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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