चुनावी माहौल में आतंकवादी व अपराधी
इस मौके की तलाश में रहते हैं कि राजनेता की हत्या कर सकें। क्योंकि सुरक्षा
व्यवस्था इतनी चुस्त नहीं होती। कभी-कभी राजनीतिक कारणों से भी अपने
प्रतिद्वंद्वियों की सुरक्षा के इतने पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते जितने की जरूरत
होती है। दूसरी ओर वोटों के चक्कर में कई बार नेतागण भी सुरक्षा व्यवस्था की परवाह
किए बगैर सुरक्षाकर्मियों की सलाह को नजरअंदाज कर देते हैं। हमने देख ही लिया है
कि किस तरह पटना के गांधी मैदान में आतंकी लगभग अपने उद्देश्य में कामयाब हो गए
थे। मैदान के अन्दर तक तो बम फटवा ही दिए। तारीफ करनी होगी नरेन्द्र मोदी की
जिन्होंने मना किए जाने के बावजूद पटना के गांधी मैदान में हुंकार रैली में शिरकत
की। मोदी को पटना एयरपोर्ट पर लेने गए पार्टी के दो नेताओं शाहनवाज हुसैन और
महासचिव राजीव प्रताप रूढ़ी ने उन्हें रैली स्थल के आसपास बम विस्फोट की आशंका से
अवगत कराया था। इतना ही नहीं, गुजरात पुलिस ने भी उन्हें रैली स्थल पर जाने से मना
किया था फिर भी मोदी रैली में पहुंचे। शाहनवाज ने बताया कि उस रैली के दौरान भाजपा
के नेताओं ने बम विस्फोट होते रहने के बीच विचलित हुए बगैर जनता को इस बात का आभास
नहीं होने दिया कि बम फट रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बम उस समय फटा जब वह
(शाहनवाज) भाषण दे रहे थे। इसी बीच पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को धमाकों की वजह
से रैली को रद्द करने की सलाह दी गई लेकिन उन्होंने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए
रैली को रद्द नहीं किया। अगर रैली रद्द होती या हड़कम्प मचता तो भगदड़ में हजारों
लोग कुचल कर मर सकते थे। मोदी ने अपनी जान हथेली पर रखकर इस रैली को सम्बोधित
किया। कुछ भी हो सकता था। यह किसी से छिपा नहीं कि नरेन्द्र मोदी आतंकियों की
हिटलिस्ट में सबसे ऊपर हैं। 27 अक्तूबर को इसी गांधी मैदान विस्फोटों में गिरफ्तार
आतंकी इम्तियाज ने खुलासा किया कि इंडियन मुजाहिद्दीन की हिटलिस्ट में सबसे ऊपर
नम्बर नरेन्द्र मोदी का है। मोदी को संगठन की ताकत का अहसास कराने के लिए ही उनकी
रैली में विस्फोट किया गया था। इसकी रूपरेखा रांची के हिन्दपीढ़ी में तैयार की गई
थी। तमाम खतरों के चलते भाजपा ने मंगलवार को कहा कि उसके प्रधानमंत्री पद के
उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की पटना रैली में हुए आतंकी हमले के बावजूद देशभर में
उनके पहले से तयशुदा चुनावी कार्यक्रमों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। अब खबर
आई है कि मोदी एक बार फिर पटना जाएंगे। मोदी गांधी मैदान विस्फोटों में घायल हुए
लोगों को देखने जा रहे हैं। इस बार सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं।
सुरक्षा में परिवर्तन किया गया है। यहां तक कि पटना में धमाके के पीड़ितों से
मिलने जा रहे मोदी से पहले गुजरात पुलिस के आला अफसर और तकरीबन एक हजार एसटीएफ के जवान भी बिहार पहुंच
रहे हैं। इसके अलावा भी मोदी की सुरक्षा में बिहार पुलिस, सीआरपीएफ और बाकी
सुरक्षा एजेंसियों के जवान तैनात रहेंगे। जद (यू) मोदी के इस कदम को पब्लिसिटी
स्टंट बता रही है। दोनों नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की
रैलियों में आईएसआई के इशारों पर आईएम बम विस्फोट करवा सकती है। खासकर बिहार और
उत्तर प्रदेश में। राहुल गांधी की भी जान को खतरा है। राहुल की भी पुख्ता सुरक्षा
व्यवस्था होनी चाहिए। उन्हें भी सुरक्षाकर्मियों के सुझाव मानने चाहिए। उनके पिता
की श्रीपेरुम्बदूर में किस प्रकार लिट्टे ने हत्या की थी उनसे बेहतर और कौन जानता
है।
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