Tuesday, 19 November 2013

भारत की बढ़ती ताकत से पड़ोसी पाक व चीन में बौखलाहट

रविवार का दिन भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। बहुप्रतिक्षित और महत्वाकांक्षी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। 45 हजार टन के जंगी विमान वाहक जिसे अंग्रेजी में एयर क्राफ्ट कैरियर कहते हैं विक्रमादित्य के शामिल होने से भारतीय नेवी वैश्विक दबंग बनने की स्थिति में आ गई है। 2.3 अरब डॉलर की लागत वाले पोत का वजन 44,500 टन है। इस युद्धपोत को पहले 2008 में सौंपा जाना था, लेकिन बार-बार विलम्ब होता रहा। पोत पर रूस के ध्वज को उतारा गया और इसकी जगह भारतीय नौसेना का ध्वज लगाया गया। परम्परागत भारतीय रिवाज के मुताबिक पोत पर एक नारियल फोड़ा गया। इसे युद्धक पोतों के एक समूह की निगरानी में दो महीने की यात्रा के  बाद भारत पहुंचाया जाएगा। इसे अरब सागर के करवार तट पर लाया जाएगा। आईएनएस विक्रमादित्य कीव श्रेणी का विमान वाहक पोत है जिसे बाबू के नाम से 1987 में रूस की नौसेना में शामिल किया गया था। बाद में इसका नाम एडमिरल गोर्शकोव कर दिया गया और भारत को पेशकश किए जाने से पहले 1995 तक रूस की सेवा में रहा। 284 मीटर लम्बे युद्ध पोतक पर एमआईजी-29 के  नौसेना के युद्ध पोत के साथ ही इस पर कोमोव 31 और कोमोव 28 पनडुब्बी रोधी युद्धक एवं समुद्री निगरानी हेलीकाप्टर तैनात होंगे। एमआईजी-29के विमान भारतीय नौसेना को महत्वपूर्ण बढ़त दिलाएगा। इनकी  रेंज 700 नॉटिकल मील है और बीच हवा में ईंधन भरने से इसकी रेंज 1900 नॉटिकल मील तक बढ़ाया जा सकता है। इस पर पोत रोधी मिसाइल के अलावा हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल एवं निर्देशित बम एवं रॉकेट तैनात होंगे। करीब नौ वर्षों के समझौते के बाद पोत के पुनर्निर्माण के लिए 1.5 अरब डॉलर का प्राम्भिक समझौता हुआ और 16 एमआईजी-29के एवं के-यूबी डेक आधारित लड़ाकू विमानों के सौदे पर हस्ताक्षर हुआ। बीच में थोड़ी खटास भी आई फिर एक अतिरिक्त समझौता हुआ जिसमें भारत इसके पुनर्निर्माण पर ज्यादा कीमत देने को राजी हुआ। रक्षा हलकों में माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना में इस विमान वाहक पोत के शामिल होने से भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी। रूस से भारत के तट तक इसे लाने में सुरक्षा के लिए खास चौकसी की जरूरत है इसलिए पूरे रास्ते नौसेना के पांच जंगी पोतों का काफिला इसे रूस से लेकर रवाना हो गया है। इस विशिष्ट विमान वाहक पोत में तकनीकी मदद के लिए रूस के 180 तकनीकी विशेषज्ञ भी इसमें सवार हैं। नौसेना के सूत्रों के अनुसार खास विशेषताओं वाले विक्रमादित्य से पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन का अलर्ट होना लाजिमी है। अभी तक नौसेना के पास सबसे बड़ा विमान वाहक पोत के रूप में आईएनएस विराट ही रहा है। अब विक्रमादित्य के शामिल हो जाने से समुद्र में किसी भी बड़ी नौसेना की सैन्य चुनौती मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना पहले से ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। अब उसे भारत की तरफ आने में समुद्री गरम पानी का सामना करना होगा। ऐसे में विक्रमादित्य की कई तकनीकी प्रणालियों में बदलाव की भी चुनौती है। विक्रमादित्य जब यहां सुरक्षा के लिए तैनात होगा तो उसमें पनडुब्बी भेदी हेलीकाप्टर भी तैनात होंगे जो पानी के भीतरघात लगाकर बैठी किसी भी पनडुब्बी को डुबा देने में सक्षम होंगे। विक्रमादित्य की सतह फुटबाल के तीन ग्राउंड के बराबर है और यह 21 मंजिला पोत एक छोटे शहर के रूप में समुद्र की सतह पर दिखता है। भारतीय नौसेना के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है।

-अनिल नरेन्द्र

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