Thursday, 14 November 2013

कश्मीर पर अपनी खुराफातों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान

भारत से दोस्ती बढ़ाने के नाम पर दिल्ली आए पाकिस्तान के पधानमंत्री नवाज शरीफ के राष्ट्रीय सलाहकार और विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात कर संबंधों में और तल्खी पैदा कर दी है। भारत विरोध को खारिज कर अजीज द्वारा हुर्रियत नेताओं से मुलाकात पर सियासी भूचाल तो खड़ा होना ही था। यह पहली बार नहीं है जब नई दिल्ली आए किसी पाकिस्तानी पतिनिधि ने आधिकारिक वार्ता से पहले अलगाववादियों से मिलने की पहल की है। एशिया और यूरोप के विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत करने आए अजीज ने यहां पाकिस्तान उच्चायोग में अलगाववादियों से अलग से मुलाकात की। मीर वाइज उमर फारुख के नेतृत्व वाले हुर्रियत कांपेंस के उदारवादी धड़े के साथ वार्ता करने के अलावा अजीज ने यहां जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासिन मलिक, कट्टरपंथीं हुर्रियत अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी एवं दुख्तरान-ए-मिल्लत की संस्थापिका आसिया अंद्राबी से भी मुलाकात की। समय से काफी पहले पाकिस्तान हाई कमीशन के नजदीक पहुंचने वाले गिलानी ने परिसर में तब तक नहीं जाने का निर्णय किया जब तक मीर वाइज वहां थे और जब वह बाहर निकले तब गिलानी परिसर के अंदर गए। पाकिस्तान उच्चायोग में करीब घंटे भर की बैठक के बाद बाहर निकलते हुए हुर्रियत कांपेंस के मीर वाइज उमर फारुख ने कहा कि वार्ता का उद्देश्य कश्मीर मुद्दे का निश्चित राजनीतिक समाधान ढूंढ़ना है। आश्चर्य की बात यह है कि जिन नवाज शरीफ को दो देशों के बीच बेहतर रिश्तों का पक्षधर माना जाता है, उनकी विदेश नीति के सलाहकार सरताज अजीज ने दिल्ली आते ही यही जताया कि नई सत्ता व्यवस्था में भी पाकिस्तान के लिए भारत के साथ रिश्तों में कश्मीर का मुख्य मुद्दा रहेगा। नई सत्ता व्यवस्था की बात से यह भी सवाल उठना लाजमी है कि यह आकस्मिक नहीं कि नवाज शरीफ के सत्ता में आते ही सीमा पर पाक आकमता में लगातार तेजी देखी गई, इस दौरान पाक सैनिकें ने नृशंसता दिखाई है और संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन किया है और कर रहे हैं। घुसपैठ के मामले भी लगातार बढ़े हैं। जाहिर है कि नवाज शरीफ सरकार पर पाक सेना हावी है और वह अपने हिसाब से चल रही है। पाकिस्तान की नीयत और करनी दोनों साफ हो चुकी हैं पर सवाल यहां यह उठता है कि सब कुछ सोचते-समझते भारत सरकार इस पकार की मुलाकातों की इजाजत आखिर क्यों देती है?  सरताज अजीज को भारतीय सरजमीं पर कश्मीर अलगाववादियों से मुलाकात की इजाजत देकर क्या संपग सरकार ने एक बड़ी कूटनीतिक गलती नहीं की?  न्यूयॉर्प में पाकिस्तान के साथ शांति खरीदने की एक नाकाम कोशिश करने के बाद, सीमा पर तनाव बढ़ाने के बाद भारत सरकार ने सरताज अजीज को नई दिल्ली में कश्मीरी अलगाववादियों से मुलाकात करने और उनसे बात करने की इजाजत देकर भारत सरकार आखिर दुनिया को क्या संदेश देना चाहती है?  क्यें अजीज को यह मौका दिया गया जब पाकिस्तान अपनी खुराफातों से बाज नहीं आ रहा है। क्या यह मुलाकात भारत की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हम खुद कश्मीर मुद्दे को हवा दे रहे हैं। इसके विपरीत जरूरत तो इस बात की थी कि अजीज को याद दिलाया जाता  कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वहां की जनता ने स्वेच्छा से  अपनी सरकारें चुनी हैं। हुर्रियत नेताओं की कश्मीरी अवाम की नजरों में कोई इजाजत नहीं है। बेकार भारत सरकार इन्हें भाव देती है।

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