Friday, 22 November 2013

इस सड़क-छाप स्तर की सियासत से किसी का भला नहीं होने वाला

जिस तरीके से कांग्रेस और भाजपा के बीच अत्यंत निचले स्तर के आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इस चुनाव में देखने को मिल रहा है ऐसा पहले नहीं देखा गया। यह तो स्ट्रीट पालिटिक्स हो रही है यानि सड़क-छाप सियासत। यह सिलसिला गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान शुरू हुआ और अब उससे दो कदम आगे बढ़ गया है। कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले किए और उन्हें मौत का सौदागर तक कह दिया। उन्हें बन्दर तथा उनकी शादी को लेकर सवाल उठाए गए। वहीं गोधरा कांड के बाद उपजे दंगों और हिंसा में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए। नरेन्द्र मोदी ने भी उसी जुबान में जवाब दिए और कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत हमले किए। आज आलम यह है कि आए दिन चुनाव आयोग में व्यक्तिगत हमलों के मामलों को लेकर शिकायतें दर्ज हो रही हैं। हालांकि यह अब भी गत वर्ष गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में की गई शिकायतों से कम हैं। लेकिन मतदान में अभी समय है जिसे देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं मौजूदा चुनाव का रिकार्ड न तोड़ दें। आपत्तिजनक बयानबाजी का दौर दुर्भाग्यवश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदौर में एक जनसभा से शुरू किया। 25 अक्तूबर को इंदौर में राहुल गांधी ने मुजफ्फरनगर दंगों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और साथ-साथ यह भी कह दिया कि दंगा पीड़ितों में ऐसे 10-15 मुसलमान लड़के हैं, जिनके भाई-बहनों को मारा गया। उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई  भड़का रही है। राहुल के इस बयान पर भाजपा सहित पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई। मोदी ने बेमेतरा (कवर्छा) की एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मैडम बीमार हैं तो शहजादे को बागडोर सम्भालनी चाहिए। साथ-साथ यह भी कह दिया कि छत्तीसगढ़ की ओर से केंद्र के पैसे के इस्तेमाल को लेकर राहुल गांधी पर सवाल दाग दिया कि क्या यह पैसा उनके मामा के घर से आया है। समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने मोदी से प्रश्न किया कि एक चाय बेचने वाले की सोच कभी राष्ट्रीय नहीं हो सकती। अग्रवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी सिपाही को कप्तान बना देने पर उसकी सोच कप्तान जैसी नहीं हो सकती तो वह कांस्टेबल जैसा ही व्यवहार करेगा। कांग्रेस ने मोदी पर हमला करते हुए उन्हें दानव तक कह दिया। 7 नवम्बर को राजनांदगांव में नरेन्द्र मोदी ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप चाहते हैं कि राज्य में किसी खूनी पंजे का साया नहीं पड़े तो आपको कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहिए। अब कांग्रेस ने साहेब की जासूसी कांड पर हंगामा मचा दिया है। सवाल यह उठता है कि ऐसी सड़क-छाप सियासत से किस का भला हो रहा है। कांग्रेस की रणनीति तो समझ आ रही है, वह नरेन्द्र मोदी को बेमतलब के मुद्दों में उलझाकर असल मुद्दों से ध्यान हटा रही है। असल मुद्दे हैंöमहंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, नौजवानों का भविष्य, विदेश नीति इत्यादि-इत्यादि। इस पर तो कोई बात नहीं कर रहा जिससे आम जनता का सीधा ताल्लुक है और फिजूल की चर्चा हो रही है। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि भाजपा इन मुद्दों पर ध्यान क्यों नहीं देती? अगर मोदी को सवाल पूछने ही हैं तो पूछें महंगाई के बारे में, बैड गवर्नेंस के बारे में। कांग्रेस को अपना सारा ध्यान विकास और भाजपा शासित राज्यों में सरकार की कारगुजारी पर देना चाहिए। नरेन्द्र मोदी को जनता को यह बताना चाहिए कि वह महंगाई, बैड गवर्नेंस, विदेश नीति में आई गिरावट की पूर्ति कैसे करेंगे? अपनी नीतियां, भाजपा शासित राज्यों में विकास, गुड गवर्नेंस, कानून व्यवस्था पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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