Wednesday 13 November 2013

नीतीश का हाल उस शुतुर्मुर्ग की तरह हो गया है जिसे सब ठीक-ठाक लगता है

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुरी तरह से बौखला गए हैं। पिछले कुछ समय से वह ऐसी बेतुकी बातें करने लगे हैं, समझ नहीं आ रहा कि उन्हें क्या हो गया है? वह तो उस शुतुर्मुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो रेगिस्तान में अपना मुंह रेत में ढक लेता है और अपने आपको कहता है कि सब ठीक है क्योंकि वह कुछ देख ही नहीं पाता। नरेन्द्र मोदी की अत्यंत सफल रैली को नीतीश बाबू फ्लाप रैली बता रहे हैं। कहते हैं कि आतंकियों ने मोदी की हुंकार रैली की इज्जत बचा ली। सोमवार को नीतीश ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि भाजपा ने पानी की तरह रैली के लिए पैसा बहाया था। फिर भी वह फ्लाप रही। आतंकियों की वजह से लोगों का ध्यान रैली की ओर गया। आतंकवादियों ने रैली में भाजपा की सहायता की, अन्यथा रैली तो पूरी तरह फ्लाप थी। जनता के दरबार कार्यक्रम के बाद आयोजित प्रेस सम्मेलन में नीतीश ने आगे कहा कि ऊंचाई से ली गई तस्वीर में साफ-साफ दिख रहा है कि गांधी मैदान का पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सा एक दम खाली था। आधा गांधी मैदान तो पूरी तरह से खाली था और आधे में लोग थे। नीतीश ने हुंकार रैली में पर्याप्त सुरक्षा का भी दावा किया। सवाल यह है कि नीतीश ऐसी बेतुकी बातें क्यों कर रहे हैं? हम न तो नरेन्द्र मोदी का पक्ष ले रहे हैं और न ही भाजपा का। रैली में कितने आदमी थे यह टीवी चैनलों पर साफ नजर आ रहा था। वास्तव में मैदान इतना भर चुका था कि लोग दीवारें फांद कर जबरन घुसने की कोशिश कर रहे थे। जहां तक बम  फटने की बात है तो बम फटने से तो जनता को भाग जाना चाहिए था नाकि अंदर खड़ा रहना चाहिए था। यह निहायत घटिया दलील है। क्यों नहीं नीतीश अपनी रैली में बम फटवाते और देखें कि कितने लोग बम फटने की वजह से आते हैं? यह कहना कि मोदी और आतंकवादियों की किसी प्रकार की साठगांठ है इतना बेतुका और बकवास आरोप है कि नीतीश अपने आपको जगहंसाई का मुद्दा बना रहे हैं। सवाल तो उल्टा यह उठता है कि पिछले कुछ महीनों में जब से आप ने अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति अपनाई है बिहार में आतंकियों की गतिविधियां तेज हुई हैं। क्या आप पर आरोप लगाया जाए कि आपके इशारे पर आतंकियों ने मोदी की रैली में बम ब्लास्ट इसलिए कराए ताकि जनता भाग जाए और रैली फ्लाप हो जाए? दरअसल नीतीश अपना मैटल बैलेंस खोते जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ने के बाद जो कैलकूलेशन की थी वह सब गड़बड़ा गई है। जब से भाजपा नीतीश सरकार से अलग हुई है तब से नीतीश का ग्रॉफ गिरता जा रहा है। पिछले कुछ समय से न तो वह विकास की बात करते हैं और न ही बिहार में कानून व्यवस्था की। बस उनका एक ही टॉपिक है भाजपा और नरेन्द्र मोदी। भाजपा और मोदी के दिन-रात विरोध के पीछे कांग्रेस का हाथ भी हो सकता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नीतीश को सीबीआई का डर भी सता रहा है। चारा घोटाले में राबड़ी देवी आए दिन आरोप लगा रही हैं कि नीतीश भी चारा घोटाले में शामिल हैं और उनके खिलाफ भी सीबीआई के पास वैसे ही दस्तावेजी सबूत हैं जैसे  लालू यादव के खिलाफ हैं। अगर उन्हीं सबूतों पर लालू यादव जेल जा सकते हैं तो नीतीश क्यों नहीं? क्या नीतीश को कांग्रेस पार्टी ब्लैकमेल कर रही है? और इसके एवज में मोदी और भाजपा को कोसना? नीतीश एक समझदार व्यक्ति, नेता हुआ करते थे। दुख होता है उनके गिरते स्तर को देखकर। सियासत में माहिर चाल चलने वाले नीतीश की अस्तीन में क्या प्लान छिपा है हमारी समझ से तो बाहर है।

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