कांची के दोनों धर्मगुरुओं शंकराचार्य
जयेन्द्र सरस्वती और उनके शिष्य विजेन्द्र सरस्वती को पुंडुचेरी की एक विशेष अदालत
ने बुधवार को बहुचर्चित शंकररमन हत्याकांड से बरी कर दिया। कांचीपुरम मंदिर के प्रबंधक
शंकररमन की हत्या के आरोप में दोनों धर्मगुरुओं पर आपराधिक षड्यंत्र रचने व हत्या करने
का आरोप लगाया गया था। शंकररमन की वर्ष 2004 में तीन सितम्बर की शाम को मंदिर परिसर
में ही वरदराजपेरूमल के प्रबंधक ए. शंकररमन की हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज हत्या
से जुड़े मामले में सबूत के अभाव में अदालत ने 21 अन्य अभियुक्तों को भी दोषमुक्त करार
दिया है। भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाते हुए प्रधान
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीएस मुरुगन ने घोषणा की कि 24 अभियुक्तों में से 23 को उनके
खिलाफ लगाए आरोपों से मुक्त किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि इसका कारण है कि इन अभियुक्तों
की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है। एक अभियुक्त कथिरावन की इसी साल मार्च में चेन्नई
में हत्या हो गई थी। जज ने कहा कि शंकररमन की हत्या के पीछे का मकसद भी साबित नहीं
हो सका है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि शंकररमन की बेटी सहित गवाह अदालत में आरोपियों
की शिनाख्त नहीं कर पाए। उनमें से किसी ने अदालत में किसी आरोपी की शिनाख्त नहीं की
और आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया जा सका। न्यायाधीश ने जांच में कांचीपुरम
के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रेम कुमार की अवांछित और सक्रिय भागीदारी की भी चर्चा
की जिसका जिक्र जयेन्द्र सरस्वती को जमानत देते वक्त सुप्रीम कोर्ट में भी हुआ था।
न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस अधिकारी की कार्रवाई जांच के दौरान कानून के तहत आवश्यक
कार्रवाई से बहुत ज्यादा थी। आदेश में कहा गया है कि जांच में प्रेम कुमार के हस्तक्षेप
के कारण मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) ने निष्पक्ष और उचित जांच नहीं की। अदालत ने कहा
कि सीआईओ स्वतंत्र जांच करने में नाकाम रहा और कुछ अन्य जांच अधिकारियों ने जो सामग्री
जमा की थी उन्हें भी पेश नहीं किया गया। जयेन्द्र सरस्वती को नवम्बर में दीपावली के
दिन आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था। बाद में उनके कनिष्ठ विजेन्द्र सरस्वती
को भी गिरफ्तार किया है। मुझे याद है कि जब पूजनीय शंकराचार्य को गिरफ्तार किया गया
था तो इस देश के सूडो सेक्यूलरिस्टों ने किस तरह टीवी चैनलों में उनकी बखियां उधेड़ी
थीं। शंकराचार्य को कलंकित करने का कोई हथकंडा नहीं छोड़ा गया था। जब सुप्रीम कोर्ट
में शंकराचार्य की जमानत का मामला आया तो माननीय अदालत ने जमानत देते हुए स्पष्ट कहा
कि सिवाय पुलिस के द्वारा प्रस्तुत तथाकथित इकबालिया बयान के उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला
है। सरकारें मौन रहकर तमाशा देखती रहीं। भारत का सबसे प्राचीन मठ होने के कारण कांचीमठ
सारे विश्व में मशहूर है। शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी से उनके तमाम श्रद्धालुओं को
भारी धक्का लगा था। शंकराचार्य पर हमला एक व्यक्ति पर हमला नहीं था यह सम्पूर्ण हिन्दुत्व
पर हमला था, करोड़ों लोगों की आस्था पर हमला था, श्रद्धा और विश्वास पर हमला था। जयललिता
ने ऐसा क्यों किया यह तो वह ही जानें पर आज जब शंकराचार्य को निर्दोष पाया गया है तो
यह उनकी व्यक्तिगत हार है और सारे हिन्दू समाज की जीत है।
-अनिल नरेन्द्र
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