चुनाव में गड़े मुर्दे उखाड़ने की होड़ कोई नई बात नहीं है पर
इस बार तो कुछ ज्यादा ही हो रहा है। निशाने पर हैं गुजरात के मुख्यमंत्री व भाजपा
के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी।
नरेन्द्र मोदी एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। गुजरात के पूर्व गृह राज्य
मंत्री अमित शाह की ओर से साहेब के इशारे पर एक लड़की की जासूसी करने का आरोप लगा
है। उल्लेखनीय है कि कोबरा पोस्ट डॉट काम मीडिया ने पिछले दिनों एक स्टिंग ऑपरेशन
के जरिए इस मामले का खुलासा किया था। इसमें बताया गया था कि गुजरात सरकार के
तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह ने अपने `साहेब' के निर्देश पर अहमदाबाद में
वर्ष 2009 में आर्पिटेक्ट युवती की जासूसी करवाई थी। स्टिंग ऑपरेशन में शाह और एक वरिष्ठ
पुलिस अफसर के बीच बातचीत का टेप जारी किया था। उन्होंने हालांकि कहा था कि इसकी
पाथमिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती। बस यहीं से नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस
महिला ब्रिगेड ने ताबड़तोड़ हमले करने शुरू कर दिए। कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास,
रीता बहुगुणा जोशी और शोभा ओझा ने रविवार को विशेष पेस कांपेंस बुलाकर युवती की
जासूसी पर मोदी पर निशाना साधते हुए मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या पूर्व
जज से प्रकरण की जांच कराई जाए और कहा कि क्या ऐसे व्यक्ति को देश की बागडोर
सौंपनी चाहिए जो महिला की इज्जत न करता हो। जवाब में भाजपा पवक्ता मीनाक्षी लेखी
ने कहा कि दरअसल कांग्रेस मोदी की लोकपियता से इतनी डर गई है कि ओछी राजनीति पर
उतर आई है। लेखी ने कहा कि युवती को सुरक्षा देने के लिए उसके पिता ने अनुरोध किया
था। क्या इस मामले में लड़की, उसके माता-पिता, भाई या पति ने कोई शिकायत दर्ज कराई
है? अगर नहीं तो साफ है कि पूरे मामले में कांग्रेस राजनीतिक लाभ हासिल करने के
लिए तू कौन मैं ख्वामख्वाह की भूमिका निभा रही है। खुद नरेन्द्र मोदी की पतिकिया
थी कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है क्योंकि अपने हवाई किले में बैठी सत्तारूढ़ पार्टी
उनकी लोकपियता नहीं पचा पा रही है। इस बीच एक और मामला पकाश में आ गया है।
जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय जो सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद(एनएसी) की सदस्य रही हैं ने आरोप लगाया कि संपग सरकार
लम्बे समय से उनकी जासूसी करवा रही है। राय का कहना है कि खुद खुफिया ब्यूरो के
अधिकारियों ने ही उन्हें इस बारे में बताया है। राय ने यह भी कहा कि सरकार से जो
भी मतभेद रखता है यह उसकी जासूसी करवाती है। अरुण जेटली की निगरानी का मामला अभी
चल ही रहा है। कई पुलिस वाले निलम्बित हो चुके हैं। अरुण जेटली की जासूसी कौन और
क्यों करवा रहा था। यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका। अहमदाबाद की आर्पिटेक्ट की जासूसी
के मामले में हमारी राय स्पष्ट है। सबसे पहले यह तय किया जाना चाहिए कि क्या यह
स्टिंग ऑपरेशन से उपलब्ध टेप सही है उसकी पामाणिकता तय की जानी चाहिए। अगर वह पमाणित
होता है तो इसमें कसूरवार चाहे कोई भी हो उसको कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए।
बहरहाल गड़े मुर्दे उखाड़ने की पवृत्ति
यही बताती है कि भारतीय राजनीति का स्तर किस तरह गिरता जा रहा है। इस मामले में यह
कोई तर्प नहीं है और न ही हो सकता है कि ऑल इज फेयर इन लव एंड वार यानि पेम और
युद्ध में सब कुछ जायज है।
-अनिल
नरेन्द्र
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