Wednesday 20 November 2013

राहुल की लगातार दूसरी रैली फ्लॉप होना आलाकमान के लिए चिन्ता?

राजधानी के कांग्रेसी बेचैन हैं और इस बेचैनी की वजह भी समझ में आती है, राहुल गांधी की चुनावी सभा में ज्यादा भीड़ का न जुटना। दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष की यह दूसरी रैली है जहां भीड़ का अभाव रहा। पहले मंगोलपुरी में और फिर रविवार को दक्षिणपुरी में हुई रैली में न तो चुनावी जोश नजर आया और न ही उत्साह। दक्षिणपुरी में बामुश्किल से मैदान में लगी कुर्सियां भर पाईं। उनसे पहले रैली में जब मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सम्बोधित कर रही थीं तो कुछ महिलाएं जाने लगीं। ऐसे में शीला जी को हाथ जोड़कर कहना पड़ा कि आप लोग कम से कम राहुल जी की आवाज तो सुनते जाइए। रैली का समय सुबह 10 बजे निर्धारित था, लेकिन 12 बजे तक आधे से ज्यादा मैदान खाली था। जब राहुल गांधी के आने का समय करीब आया और मैदान क्षमता के मुताबिक भरता नहीं दिखा तो मंच से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पुलिसकर्मियों से रैली में आने वालों को नहीं रोकने का अनुरोध कर दिया। इतनी तेज धूप में पानी न मिलने की शिकायतें जब मिलने लगीं तो शीला जी ने पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के नाम पर पानी आने से रोकने से बचने को कह दिया, जबकि हकीकत यह थी कि पानी और समर्थकों की कमी का कारण पार्टी नेताओं का कुप्रबंध था। विराट सिनेमा मैदान की यह रैली रविवार को दुकानदारों के लिए भी दुखदायी साबित हुई। सुरक्षा  कारणों से न सिर्प स्थानीय दुकानों को बंद रखा गया था बल्कि रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार पर भी रोक लगा दी गई। पार्टी के नेता सामने आकर बोलने को तैयार नहीं हैं लेकिन नाम न छापने की शर्त पर एक नेता ने कहा कि सरकार व संगठन में तालमेल की कमी का ही यह नतीजा है। हालांकि वे यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि पार्टी की रैलियों में कम भीड़ का जुटना कांग्रेस की कमजोर स्थिति का परिचायक है। रैली खत्म होने के बाद एक संवाददाता ने इलाके में रहने वाले विभिन्न लोगों से उनकी राय पूछी तो लोगों ने यह जरूर कहा कि वे पारम्परिक रूप से कांग्रेस के समर्थक हैं लेकिन रोजमर्रा की चीजों की लगातार बढ़ती कीमतों ने उनका बजट बिगाड़ दिया है। सूत्रों के अनुसार मंगोलपुरी की रैली लोक निर्माण मंत्री राजकुमार चौहान ने अकेले दम पर की थी। इसके लिए उन्हें संगठन की ओर से कोई खास सहयोग नहीं मिला। राहुल गांधी की सभाओं में भीड़ के न जुटने से पार्टी नेताओं और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी सकते में आ गए हैं। वे अपने आला नेताओं से गुजारिश करने लगे हैं कि उनके इलाके में किसी बड़े नेता की चुनावी सभा न कराई जाए। घबराने का कारण साफ है कि अगर इन सभाओं में फिर से भीड़ का संकट हुआ तो उन्हें चुनाव में खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस परेशान है कि राहुल व अन्य बड़े नेताओं की रैलियों की तुलना  बीजेपी के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी की रैली से होगी जिससे पार्टी के खिलाफ चर्चाओं को बल मिलेगा। बेचारे राहुल  गए तो सचिन के आखिरी टेस्ट में भी मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर जैसे ही राहुल की तस्वीर बड़ी क्रीन पर दिखाई दी मोदी-मोदी के नारे लगने लगे। मंगोलपुरी और दक्षिणपुरी दोनों इलाके कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं इसके बावजूद भीड़ न जुट पाना कांग्रेस आला कमान के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही अकेली नेता बची हैं जो भीड़ एकत्र कर सकती हैं। सोनिया जी को लगता है कि खुद ही मोर्चा सम्भालना पड़ेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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