Saturday 19 July 2014

अगर उपराज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं तो...

दिल्ली में सरकार बनेगी या फिर से विधानसभा चुनाव होगा? इस प्रश्न पर सियासी हलचल तेज हो गई है। एक बात पक्की है कि कोई-सा भी विधायक चाहे वह भाजपा का हो, कांग्रेस का हो या फिर आप का हो चुनाव नहीं चाहता। वह चुनाव को टालना चाहता है और अगर सम्भव हो तो सरकार बनाने के पक्ष में है। भाजपा ने दिल्ली में सरकार बनाने के संकेत दिए हैं। प्रतीक्षा हो रही थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्राजील से लौटने की। अब नरेन्द्र मोदी स्वदेश लौट आए हैं। उम्मीद की जाती है कि वह दिल्ली में भाजपा सरकार बनाने के लिए हरी झंडी दे देंगे। हालांकि डॉ. हर्षवर्धन और नितिन गडकरी जैसे पार्टी के बड़े नेता बहुमत न होने का हवाला देते हुए सरकार बनाने की पहल करने से इंकार करते रहे हैं। मीडिया में पिछले दो-तीन दिनों से हालांकि यह खबरें आ रही हैं कि भाजपा खेमे की ओर से सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने बुधवार को कहा कि पार्टी के विधायकों और सांसदों के साथ मीटिंग में राय थी कि अगर उपराज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं तो विचार किया जा सकता है। विधायक और सांसद भी सरकार बनाने के पक्ष में हैं। बिना सरकार के इस समय दिल्ली एक तरह से लावारिस-सी है। कोई पूछने वाला नहीं, कोई जवाब देने वाला नहीं। अफसरों पर दिल्ली का दारोमदार अटक गया है। मेरी राय में भाजपा को अब मौका चूकना नहीं चाहिए। उसे सरकार बनाकर दिल्ली की जनता को इस दल-दल से निकालना चाहिए। आखिर अरविन्द केजरीवाल ने भी एक तरह से बिना बहुमत के सरकार चलाई थी। यह और बात है कि अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद को लात मार दी। भाजपा सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के आठ में से छह विधायकों की पाला बदल राजनीति के लिए समझदारी लगभग बन गई है। यदि कांग्रेस के छह विधायक पाला बदल लेते हैं तो भाजपा जोड़तोड़ की उस्तादी दिखाकर आराम से बहुमत की सरकार बना लेगी। मैं तो यहां तक कहता हूं कि अल्पमत सरकार भी बनानी पड़े तो बना लेनी चाहिए। देखेंगे कि भाजपा की अल्पमत सरकार को गिराकर कौन चुनाव चाहता है। हां एक व्यक्ति है जो चुनाव के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं वह हैं अरविन्द केजरीवाल पर वह दिन लद गए जब केजरीवाल को लोग गम्भीरता से लेते थे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 में से 31 सीटों पर जीत मिली थी। एक सीट भाजपा के सहयोगी अकाली दल ने जीती थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा के तीन विधायक लोकसभा के सदस्य बने तो विधानसभा में उसका संख्याबल घटकर 29 रह गया है। एक सदस्य अकाली दल का है। ऐसे में भाजपा को महज पांच और विधायकों का समर्थन सरकार बनाने के लिए चाहिए। सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस में अरविन्दर सिंह लवली और हारुन यूसुफ को छोड़कर बाकी सभी विधायक सरकार बनाने के लिए उत्सुक हो गए हैं। पिछले दो दिनों से प्रदेशाध्यक्ष सतीश उपाध्याय पार्टी विधायकों सहित कई बड़े नेताओं से विमर्श करते आ रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि पार्टी नेतृत्व ने नए मुख्यमंत्री के लिए वरिष्ठ नेता जगदीश मुखी का नाम भी तय कर लिया है। उधर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने एक ट्विट में कहाöआप के किसी भी विधायक को खरीदने में विफल रहने पर अब भाजपा कांग्रेस के छह विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। कीमत 20 करोड़ रुपए प्रत्येक, दो मंत्री और चार अध्यक्ष। भाजपा ने केजरीवाल के इस बयान पर मानहानि का केस भी कर दिया है। केजरीवाल ने तो उपराज्यपाल की निष्ठा पर भी सवाल उठा दिया है। केजरीवाल ने दावा किया कि उपराज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए बुला सकते हैं और भाजपा इसे स्वीकार करेगी। अब मामला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पाले में है। उल्लेखनीय है कि फरवरी में दिल्ली से राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। यहां पर 49 दिन की सरकार चलाकर केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल भाजपा ने सरकार बनाने के लिए यूटर्न इसलिए लिया कि उसके सारे विधायक सरकार बनाने के पक्ष में अब हैं। महंगाई, बिजली-पानी जैसी बढ़ती समस्याओं के कारण आज दिल्लीवासियों के दुख-दर्द को कोई पूछने वाला नहीं, समाधान करने वाला नहीं। अगर विधानसभा होगी तो बहुत-सी ज्वलंत समस्याओं का समाधान सम्भव हो सकता है। दिल्ली में सरकार बननी चाहिए।

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