Tuesday, 22 July 2014

आतंकियों के निशाने पर शिवभक्त

अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर बालटाल बेस कैम्प पर शुक्रवार को हुई हिंसा में 65 लोग घायल हो गए, 300 से अधिक टैंटों में आग लगा दी गई और अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया। बालटाल में सामुदायिक लंगर में आग और झड़पों में 65 लोग घायल हो गए और 300 टैंटों व 10 सामुदायिक लंगर में आग लगा दी। जले हुए टैंट व लंगर, बिखरा हुआ राशन, चारों तरफ राख के ढेर और उनमें कहीं-कहीं निकल रहे धुएं के बीच अपने लिए जिंदगी का सामान तलाशते लोग, सभी के चेहरों पर डर और मायूसी की  लकीरें अपनी कहानी सुना रही थीं। ऐसा नजारा था मानो नादिरशाह की फौज कहर मचाकर यहां से गुजरी हो। शनिवार को बालटाल कहीं से भी बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा की तरफ जाने वाले श्रद्धालुओं का मुख्य आधार शिविर नजर नहीं आ रहा था। भिवानी निवासी अरुण कुमार ने कहाöभाई साहब यह भगवान शंकर की कृपा है और फौज की हिम्मत जो हम लोग बच गए। मैं तो अपने परिवार के लोगों को भी गंवा चुका था, लेकिन फौजियों ने उनका भी पता लगाया और हम सभी को यहां वोमेल में अपने शिविर में जगह दी। अरुण कुमार ने कहा कि हम लोग तो पवित्र गुफा की तरफ जाने की धुन में मस्त थे। लेकिन पता नहीं कहां से लोगों का हुजूम आ गया, नारे लगाते हुए इन लोगों ने हमारे साथ मारपीट शुरू कर दी, लंगरों में घुस गए, टैंटों में सोए हुए लोगों को उठाकर पीटने लगे। हम सभी जान बचाकर भागे। हमें सेना के जवानों ने वहां से निकाला और अपने शिविर में ले गए। यह संतोषजनक है कि बालटाल में हिंसा के बाद रोकी  गई अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू हो गई और श्रद्धालु हर-हर महादेव, ओम नम शिवाय के नारे लगाते आगे की यात्रा के लिए रवाना हो गए, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह हिंसा आखिर हुई क्यों? यह सभी जानते हैं कि हर वर्ष अमरनाथ यात्रा को रोकने व उसमें विघ्न डालने के लिए कुछ लोग ऐसी हरकत करने की फिराक में रहते हैं। इस हिंसा के विरोध में जिस तरह देश के दूसरे हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में तनाव फैला वह चिन्ताजनक है। अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है लेकिन फिर भी हर वर्ष कुछ न कुछ अप्रिय घटना घट जाती है। चूंकि अमरनाथ की यात्रा एक कठिन यात्रा है, इसलिए भी यात्रियों के समक्ष अनेक बाधाएं खड़ी होती रहती हैं। बालटाल में जिस तरह बड़े पैमाने पर हिंसा हुई उससे लगता है कि इसके लिए पूरी तैयारी की गई थी। चूंकि यह भी स्पष्ट नहीं कि किस विवाद के चलते हिंसा भड़की और उसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसलिए यह जरूर पता लगाया जाना चाहिए कि आखिर इस यात्रा में खलल डालने वाले तत्व कौन हैं? जिस तरह से शिवभक्तों को निशाने पर लिया जाता है वह अच्छा संकेत नहीं। दुखद बात यह है कि न तो जम्मू-कश्मीर सरकार ही पर्याप्त सुरक्षा कदम उठाना चाहती है और न ही स्थानीय लोग यात्रियों के प्रति हमदर्दी रखते हैं। यह तो तब है कि जब इनकी रोटी-रोजी अमरनाथ यात्रा से ही चलती है। हमें तो अब डर इस बात का भी लगता है कि देशभर में चल रही कांवड़ यात्रा को भी आतंकी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए हमला करें। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वैसे तो हमेशा कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर एहतियात बरते जाते हैं, लेकिन पिछले दिनों पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुई सांप्रदायिक हिंसा की वजह से इस बार की परिस्थितियां थोड़ा भिन्न हैं। खुफिया एजेंसियों को ऐसी जानकारी मिली है कि कांवड़ में गड़बड़ी फैलाई जा सकती है। साफ है कि उत्तर भारत में शिवभक्त आतंकियों के निशाने पर हैं। गृह मंत्रालय को शिवभक्तों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने चाहिए। जम्मू-कश्मीर की सरकार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि न केवल वह यह पता लगाए कि शरारती तत्व कौन हैं बल्कि उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी करें।


-अनिल नरेन्द्र

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