Friday, 11 July 2014

सबसे कम उम्र के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वस्त सलाहकार माने जाने वाले अमित शाह अब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं। बुधवार को पार्टी की शीर्ष नीति-निर्धारक इकाई भाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से यह फैसला किए जाने के बाद निवर्तमान अध्यक्ष और अब मोदी सरकार में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले की सार्वजनिक घोषणा की। इस फैसले से जहां नरेन्द्र मोदी का दोनों सरकार और भाजपा संगठन पर पूरी तरह नियंत्रण भी हो गया क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि अमित शाह मोदी के दाहिने हाथ माने जाते हैं। इस फैसले के साथ ही यह संयोग भी बना कि प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख दोनों ही एक राज्य यानि गुजरात से हैं। हालांकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह के तीन साल के कार्यकाल में अभी 18 महीने का समय बाकी है लेकिन शायद पार्टी ने एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर अध्यक्ष पद की अहम जिम्मेदारी अमित शाह को देने का फैसला किया है। अमित शाह ही वह रणनीतिकार हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी के रूप में सफलता का नया रिकार्ड अपने नाम दर्ज करा लिया। यहां पर 80 में से पार्टी को 71 सीटें मिली हैं जबकि दो सीटें एनडीए के एक और सहयोगी दल को मिल गई हैं। इस तरह से 73 सीटों की शानदार विजय में अमित शाह के चुनावी प्रबंधन की बड़ी भूमिका समझी जाती है। यूपी में पिछले कई सालों से जिस तरह से पार्टी की हालत तीसरे और चौथे नम्बर पर पहुंच गई थी ऐसे में इतनी बड़ी सफलता मिलना एक चमत्कार से कम नहीं है। इस बड़ी सफलता के बाद ही तय हो गया था कि अमित शाह का राजनीतिक कद बढ़  जाएगा। पहले चर्चा यह भी चली थी कि मोदी सरकार में शाह को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन कुछ कानूनी दिक्कतों की वजह से उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। उल्लेखनीय है कि कुछ फर्जी मुठभेड़ों के मामले में शाह के खिलाफ मामले अदालतों में लम्बित हैं। इस तकनीकी बाधा की वजह से उन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली। अमित शाह के अध्यक्ष बनने से सरकार और संगठन के बीच तालमेल अच्छा रहेगा। क्योंकि अमित शाह को नरेन्द्र मोदी का हनुमान भी कहा जाता है। यह अलग बात है कि अमित शाह कभी भी मोदी के करीब होने का दम्भ नहीं भरते। जब उनसे पूछा गया कि आपको तो मोदी का राइट हैंड माना जाता है तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा कि आप लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि मोदी जी का न तो कोई राइट हैंड है और न ही लैफ्ट हैंड है। वह खुद में इतने सक्षम हैं कि उन्हें ऐसी भूमिका के लिए किसी की भी जरूरत नहीं है। अमित शाह के सामने अगले तीन महीनों में तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव पहली चुनौती होंगे। यह राज्य हैं महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड। महाराष्ट्र में भाजपा पिछले 15 साल से सत्ता से बाहर है तो हरियाणा में भी एक दशक हो गया है। इसके अलावा दिल्ली को लेकर भी उन्हें अहम फैसले लेने हैं। अगले साल बिहार में होने वाले चुनाव भी शाह के सामने बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। पार्टी में शाह के उत्थान से पहले भाजपा और आरएसएस दोनों के बीच व्यापक बहस भी छिड़ गई थी कि क्या पार्टी की अध्यक्षता एक गुजराती को दी जानी चाहिए जबकि एक अन्य गुजराती व्यक्ति सरकार का मुखिया है? शाह के पक्ष में यह फैसला अंतत इस आधार पर लिया गया कि मोदी से उनकी निकटता के चलते सरकार और पार्टी के बीच बेहतर तालमेल में मदद मिलेगी और इससे भगवा लहर को मजबूती मिलेगी। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए आरोपित किए गए शाह को उनके आलोचक एक भारी ध्रुवीकरण वाला व्यक्ति मानते हैं। वर्ष 1964 में मुंबई में जन्मे अमित शाह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर 1983 में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 31 साल में भाजपा के शीर्ष पद पर पहुंच गए। अमित शाह को हम बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह उन सब आशाओं पर खरे उतरेंगे जिनके लिए मोदी ने बड़ा जोखिम उठाया है। यह भी तय है कि अमित शाह की नियुक्ति पर भाजपा विरोधी जरूर हमला करेंगे।

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