Thursday 3 July 2014

आतंक का नया चेहरा खलीफा अबू बक अल बगदादी

इराक और सीरिया के बड़े भू-भाग पर कब्जा जमा चुके सुन्नी आतंकवादियों इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लीवेंट (आईएसआईएल) ने खुद को एक नई सत्ता इस्लामी राष्ट्र घोषित करते हुए अपने सरगना अबू बक अल बगदादी को खलीफा का दर्जा देकर दुनिया भर के जेहादियों और मुसलमानों से उनका अनुसरण करने को कहा है। जेहादियों ने अपनी वेबसाइट पर यह संदेश जारी किया है। एक हथियारबंद ताकत अचानक सीरिया और इराक की सीमा से उठती है और महीने से भी कम समय में सीरिया के एक हिस्से पर अपने कब्जे का ऐलान करते हुए इराक के शहर पर शहर जीतती चली जाती है। जब तक लोग उसके नाम का मतलब समझ पाएं तब तक उसके बर्बर कारनामों के वीडियो पूरी दुनिया पर छा चुके होते हैं और ऐसे ही एक वीडियो में अपने कब्जे वाले इलाके को इस्लामिक राष्ट्र (खिलाफत) बताते हुए वह अपने मुखिया अबू बक अल बगदादी को न सिर्फ इलाके का, बल्कि समूचे इस्लाम का राजनीतिक और धार्मिक मुखिया (खलीफा) घोषित कर देती है।  कुछ वर्ष पहले तक महज दो-ढाई हजार वाले आईएसआईएल के इस ऐलान से भले ही उसके पचार को हथकंडा कहकर खारिज कर दिया जाए मगर इस्लामिक जगत में हो रही इस उथल-पुथल की ज़ड़ें काफी गहरी है। हालांकि अलकायदा से अलग हुए धड़े से तैयार किए गए आईएसआईएल के हिंसक तौर-तरीके बताते हैं कि इस नापाक संगठन के इरादे कुछ और ही हैं। वह दुनिया को 90 वर्ष पहले ऑटोमन साम्राज्य के पतन से पहले के उस दौर में ले जाना चाहता है जब ब्रिटेन और फांस जैसी औपनिवेशक ताकतों ने भौगोलिक सीमाएं नहीं खींची थां। बेशक यह कहना बहुत कठिन है कि हिंसा पर यकीन करने वाले इस संगठन को इस्लामिक जगत का कितना समर्थन हासिल होगा मगर उसकी यह हरकत अमेरिका और पश्चिमी देशों की नाकामी को भी रेखांकित करती है। अमेरिका ने तानाशाह सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल करने और लोकतंत्र की बहाली के लिए इराक पर कब्जा किया था मगर जिस तरह से उसने अस्थिरता के बीच अपनी फौज वापस बुला ली उससे वहां के हालात बद से बदतर होते चले गए। अमेरिका ने घोर संकट की स्थिति में जिस तरह निकल भागने का फैसला किया था, वह किसी असाधारण तबाही को न्यौता देने जैसा था। आज हालत यह हो गए हैं कि वहां की चुनी सरकार बगदाद और उसके आसपास तक सिमट कर रह गई है और तेल के अर्थशास्त्र से चलने वाला यह देश कुर्द, सुन्नी और शिया बहुल इलाकों के रूप में तीन टुकड़ों में बंटने को तैयार है। यदि वहां संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी जल्दी से हस्तक्षेप नहीं करती है तो निश्चय ही हालात और बिगड़ सकते हैं। आईएसआईएल केवल इराक-सीरिया के लिए खतरा नहीं है बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा खतरा है जो कुछ मायनों में अलकायदा से भी ज्यादा खतरनाक है। रमजान के मुबारक मौके पर पूरे समाज के और खासकर मुस्लिम समुदाय के सभी उदारवादियों को यह संकल्प लेना चाहिए कि इस महान धर्म को वे ऐसी पत्थरयुगीन सोच वाली ताकतों के हाथ कलंकित नहीं होने देंगे। 

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