Friday 25 July 2014

ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों के लिए भारतीय खिलाड़ियों को गुड लक

भ्रष्टाचार और लेट लतीफी वाले दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद बुधवार को स्काटलैंड में गेम्स शुरू हो रहे हैं। इस बार चर्चा स्टेडियमों और सुविधाओं की इतनी नहीं हो रही जितनी छह ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले उसैन बोल्ट की हो रही है जिन्होंने इन खेलों के पिछले संस्करण में भाग नहीं लिया था। हालांकि जमैका के सुपर स्टार बोल्ट 100 या 200 मीटर की दौड़ में हिस्सा नहीं लेंगे, वह सिर्प चार गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में शिरकत करेंगे यानि बोल्ट नाम की यह बिजली नौ सैकेंड से भी कम समय तक  दौड़ेगी, लेकिन सच मानिए वह कुछ चमचमाते सैकेंड इन खेलों का सबसे बड़ा आकर्षण होंगे। बुधवार से स्काटलैंड के ग्लास्गो शहर के 13 स्टेडियमों में 17 खेलों की हलचल शुरू होगी। इस 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स में 71 देशों के 4500 से ज्यादा एथलीट भाग लेंगे। चार साल पहले नई दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में 177 पदकों के साथ आस्ट्रेलिया टॉप पर और 101 पदकों के साथ भारत दूसरे स्थान पर रहा था। भारत के लिए ग्लास्गो में हो रहे इन 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स में पिछली बार की सफलता दोहराने की कड़ी चुनौती होगी, लेकिन कुछ स्पर्धाओं को शामिल किए जाने के बाद भी उसका 215 सदस्यीय मजबूत दल शीर्ष पांच में रहने की कोशिश करेगी। नई दिल्ली खेलों में भारतीय दल रिकार्ड 101 पदक जीतकर आस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा था। इस बार उम्मीद की जा रही है कि भारतीय दल आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे स्थान पर रह सकता है। हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स का महत्व 204 देशों वाले ओलंपिक जैसा तो नहीं होता लेकिन फिर भी 71 कॉमनवेल्थ देशों के लिए यह एक प्रतिष्ठित समारोह है, जहां 261 पदकों के लिए 17 खेलों में 4500 खिलाड़ी भिड़ेंगे। भारतीय अधिकारियों ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स के खेलगांव को चार साल पहले नई दिल्ली में हुए खेलों के खेलगांव को काफी खराब बताया है। 2010 में खेलगांव में काफी सफाई और अव्यवस्था को लेकर भारत की काफी आलोचना हुई थी, लेकिन ग्लास्गो में स्थिति दिल्ली से भी बुरी है। भारत के चीफ डी मिशनराज सिंह ने मंगलवार को कहा खेलगांव में जगह की कमी है। जब मैं चार साल पहले के दिल्ली खेलों का स्मरण करता हूं तो मुझे लगता है कि भारत ने काफी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं। यहां अटैच बाथरूम नहीं हैं। खिलाड़ियों को बाथरूम साझा करना पड़ रहा है जबकि दिल्ली में हमने हर कमरे के साथ अटैच बाथरूम मुहैया कराए थे। हमारे एथलीटों को खाने की भी समस्या हो रही है। शाकाहारी खाने की कमी है। दिल्ली-एनसीआर के लिए इन खेलों का खासा महत्व है। सुशील कुमार, योगेश्वर कुमार, अमित दहिया, राजीव तोमर, सीमा पुनिया, विकेंद्र सिंह, ललित माथुर, मानवजीत सिंह संधु, मनसेर सिंह, श्रेयायी सिंह, अनीसा सैयद, जीना चौंगथाम, आरती सिंह, अंकुर मित्तल, ओम प्रकाश, ज्योति और शिवानी से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ही नहीं पूरे देश को पदक की उम्मीद है। हॉकी में भारत को कम से कम पुरुष या महिला वर्ग से एक पदक की उम्मीद है। 2010 गेम्स के फाइनल में भारत को आस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त मिली थी। देश को जिनसे ज्यादा उम्मीदें हैं उनमें सुनील कुमार (74 किलो वर्ग) बीजिंग ओलंपिक्स में कांस्य पदक और लंदन ओलंपिक्स में रजत पदक जीतने वाले सुशील की ताकत और गति उनका प्रमुख हथियार है। 66 किलो वर्ग में लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर के शरीर में जिम्नास्ट जैसी लोच है और उनका डिफेंस काफी मजबूत है। 61 किलो वर्ग में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले युवा पहलवान बजरंग ग्लास्गो में स्वर्ण पदक जीतने की क्षमता रखते हैं। शूटिंग में अभिनव बिंद्रा दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय शूटरों ने देश को 30 पदक दिलाए थे। इस बार भी भारत को शूटिंग से ज्यादा पदक की उम्मीद है। बैडमिंटन में भारत की दिग्गज स्टार साइना नेहवाल की गैर मौजूदगी में भारत की उम्मीदें पीवी सिंधु पर टिकी हैं। भारत के सर्वश्रेष्ठ टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंत शरत कमल (टेटे) पिछले दो बार से गेम्स में देश को पदक दिलाते रहे हैं। इस बार भी उनसे उम्मीद है। प्रशांत करमारकर (पारा एथलीट) 50 मीटर फ्री स्टाइल पारा स्पोर्ट में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले से भी उम्मीद रखी जा सकती है। जिम्नास्टिक में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स पदक विजेता आशीष कुमार से भारत को पदक की उम्मीद है। इसके अलावा डिस्कस थ्रो में विकास गौड़ा, कृष्णा पुनिया से भी उम्मीदें हैं। 400 मीटर रिले में भी, लांग जम्प में, जूडो और बॉक्सिंग में विजेंद्र सिंह, शिव थापा, सुमित सांगवान और देवेंद्र सिंह अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। हम अपने तमाम खिलाड़ियों को बेस्ट ऑफ लक कहते हुए उम्मीद करते हैं कि वह ग्लास्गो में शानदार प्रदर्शन करेंगे।

No comments:

Post a Comment