Friday, 25 July 2014

मुलायम अखिलेश को नसीहतें दे रहे हैं या उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं?

श्री मुलायम सिंह यादव इस समय दोहरा रोल अदा कर रहे हैं। इधर लोकसभा में राष्ट्रीय राजनीति कर रहे हैं तो उधर उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ रखे हुए हैं पर हमें समझ नहीं आ रहा कि नेता जी अपने मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव की मदद कर रहे हैं या फिर रोड़े अटका रहे हैं? गाहे-बगाहे अपने बयानों से मुलायम सिंह अखिलेश को परेशानी में डाल देते हैं। एक ओर बलात्कार के कई मामलों में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार आलोचनाओं का सामना कर रही है वहीं पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह द्वारा शनिवार को दिए गए बयान जिसमें कहा कि 21 करोड़ की आबादी के बावजूद राज्य में रेप के कम मामले हुए हैं ने अखिलेश का सिरदर्द बढ़ा दिया है। लखनऊ के मोहन लालगंज इलाके में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या पर यादव ने दिल्ली में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, आप उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। वहां की आबादी 21 करोड़ है। अगर इस देश में इस तरह के सबसे कम मामले हुए हैं तो उत्तर प्रदेश में। 16वीं लोकसभा के चुनाव के दौरान मुजफ्फरनगर में मुलायम जी ने मुंबई में हुए दुराचार के आरोपियों पर बच्चों से गलतियां हो जाती हैं, जैसे बयान देकर प्रदेश की महिलाओं को खासा नाराज कर दिया था। पार्टी के एक बड़े तबके का मानना है कि नेता जी के इस बयान का प्रतिकूल प्रभाव लोकसभा के चुनाव में महिलाओं की नाराजगी की शक्ल में सपा को भुगतना पड़ा था। लोकसभा के चुनाव में सपा को महज पांच सीटें मिली थीं। पूरे लोकसभा चुनावों में नेता  जी ने कई सभाओं में यह कहकर अल्पसंख्यकों को खुश करने की भी कोशिश की थी कि देश के विकास में किसानों और मुसलमानों ने अहम भूमिका निभाई है। सियासी जानकारों का मानना है कि नेता जी के इस बयान ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रूपरेखा तैयार की और फायदा भाजपा उठा ले गई। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर मुलायम ने मुख्यमंत्री को चाटुकारों से घिरा बताकर अखिलेश को मुश्किलों में डाल दिया था। आज भी विपक्ष नेता जी के इस बयान को आधार बनाकर समय-समय पर अखिलेश और उनकी सरकार पर हमला करने में गुरेज नहीं करता। इस बयान से पहले इटावा में मुलायम प्रदेश में अखिलेश सरकार के खिलाफ यह कहकर गरजे थे कि वह अखिलेश की सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। विपक्ष ने उनके इस बयान को यह कहकर परिभाषित किया कि जब सपा सुप्रीमो ही अपनी सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं तो प्रदेशवासियों की बात तो छोड़िए। बीते दिनों लखनऊ के मोहन लाल गंज इलाके में महिला के दुराचार के बाद जिस तरह का मुलायम सिंह यादव ने बयान दिया है वह अपराधियों के मनोबल को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बढ़ाने का काम करता है और अपनी ही सरकार को मुश्किल में डालता है। मुलायम कहते हैं कि प्रदेश की आबादी 21 करोड़ है और उसे देखते हुए अपराधों की संख्या बहुत कम है। यही नहीं वह आगे जोड़ते हैं कि हर आदमी के पीछे पुलिस तो नहीं लगाई जा सकती। हर अपराध को रोका नहीं जा सकता। यह बात सच है कि हर व्यक्ति के पीछे पुलिस नहीं  लगाई जा सकती। मगर शासन पुलिस का नहीं कानून का होता है। कानून का भय जब तक हर गलत काम करने वाले के मन में नहीं होगा, अपराध नहीं रुकेगा, इसलिए कानून का कठोरता के साथ पालन करके ही कानून का राज स्थापित किया जा सकता है। यहां स्थिति उलटी है। पुलिस थानों में ही अपराध हो रहे हैं। मुलायम ने अप्रैल माह में अपनी एक चुनावी सभा में कहा थाöबलात्कार के लिए फांसी की सजा कतई ठीक नहीं है। लड़के हैं, गलती हो ही जाती है, तो क्या इसके लिए उनकी जान लेंगे? मुलायम के बयानों के कारण भाजपा, कांग्रेस और बसपा हमलावर मुद्रा में हैं। इन तीनों राजनीतिक दलों ने नेता जी के बयान को अखिलेश सरकार की मंशा से जोड़कर बाप-बेटे को घेरने की कोशिश शुरू कर दी है।

-अनिल नरेन्द्र

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