Thursday 24 July 2014

अत्यंत चुनौतीपूर्ण सियासी दौर से गुजरती कांग्रेस पाटी

इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि सबसे पुरानी कांग्रेस पाटी आज-कल एक खराब सियासी दौर से गुजर रही है। चाहे मामला लोकसभा में नेता विपक्ष का हो, लोकसभा में सीटिंग का हो या गठबंधन साथियों का, पाटी के अंदर बढ़ते असंतोष का तो सभी मोर्चे पर कांग्रेस नेतृत्व को जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा नए सदन में सीटों की व्यवस्था को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सदन में विपक्ष के नेता के मुद्दे पर फैसला कब तक होगा। संसदीय सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष को एक पेचीदा स्थिति का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अन्ना द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल कांग्रेस के साथ लोकसभा में बैठने को तैयार नहीं हैं। न तो अन्नाद्रमुक, न ही तृणमूल और बीजू जनता दल कोई भी लोकसभा में कांग्रेस के साथ सीट दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। संबंधित अधिकारियों ने इस बारे में कई दौर की बातचीत की है और इस मसले पर इस हफ्ते फैसला आने की उम्मीद है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ओड़ीसा में कांग्रेस बीजद की मुख्य पतिद्वंद्वी है जबकि ममता बनजी की तृणमूल कांग्रेस कई बार सरकार के समर्थन में दिखती है तो कई बार विरोध करती नजर आती है। ऐसी चर्चा भी चल रही है कि कोई ऐसा फॉर्मूला बनाया जाए जिसके तहत जीती गई सीटों के अनुपात के मुताबिक पार्टियों को आगे की सीटों का आवंटन हो जाए। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस को अग्रिम पंक्ति में दो से अधिक सीटें नहीं मिल पाएंगी। अब बात करते हैं कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों की। अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने है। करीब  6 साल तक गठबंधन में होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांपेंस विधानसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ेंगे। यानी दोनों का गठबंधन समाप्त हो गया है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी ने जम्मू में घोषणा की थी कि उनकी पाटी आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और चुनावों से पहले कोई गठबंधन नहीं होगा। उधर नेशनल कांपेंस के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जो पाटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने सोशल मीडिया पर घोषणा की उन्होंने दस दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सूचित कर दिया था कि राज्य में चुनाव पूर्व कोई तालमेल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह कहना कि उसने फैसला किया है कि पूरी तरह से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है, असत्य है। महाराष्ट्र में कांग्रेस एनसीपी के बीच काफी पुराना गठबंधन है। यहां पर साझा सरकार के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण हैं लेकिन एनसीपी के सुपीमो शरद पवार अपनी सियासी चालें चलने से बाज नहीं आ रहे हैं। पवार का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस पृथ्वीराज चव्हाण को हटाकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाए क्योंकि चव्हाण के नेतृत्व में राज्य में भाजपा-शिवसेना की राजनीति से निपटना बहुत मुश्किल होगा। अब कांग्रेस ने एक राजनीतिक दांव चलते हुए एनसीपी के पास एक पस्ताव भेजा है कि यदि पाटी कांग्रेस में विलय करने को तैयार हो तो शरद पवार जिसे चाहेंगे उसी को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले कई सालों से कांग्रेस नेतृत्व इस कोशिश में रहा है कि एनसीपी का विलय कांग्रेस में हो जाए। याद रहे कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को उठाते हुए शरद पवार ने कांगेस से बगावत करके अपनी पाटी एनसीपी का गठन किया था। पिछले 15 सालों से महाराष्ट्र में इस गठबंधन की सरकार चल रही है। लेकिन हर बार चुनावी मौके पर दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो जाती है। अटकलें लगने लगती हैं कि दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन बचेगा या टूटेगा। एनसीपी ने विलय से साफ इंकार कर दिया है। कुल मिलाकर कांग्रेस पाटी अत्यंत चुनौतिपूर्ण दौर से गुजर रही है और देखना है कांग्रेस नेतृत्व पाटी को इससे उभार सकता है या नहीं?

-अनिल नरेंद्र

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