Saturday 26 July 2014

रोजेदार के मुंह में जबरन रोटी ठूंसने का आपत्तिजनक मामला

जन प्रतिनिधियों से लोकतंत्र की मर्यादा के अनुरूप आचरण की अपेक्षा की जाती है पर इसकी अनदेखी के उदाहरण कई बार सामने आए हैं। हमने कई बार देखा है कि अगर वह सत्ता पक्ष के हों तो मर्यादा की हदें पार करने से गुरेज नहीं करते। ताजा उदाहरण न्यू महाराष्ट्र सदन में ठहरे कुछ शिवसेना के सांसदों के व्यवहार का है। शिवसेना के 11 सांसदों पर महाराष्ट्र सदन की कथित खराब सेवाओं के विरोध में हंगामा खड़ा करने और एक मुस्लिम कर्मचारी को रोजे के दौरान जबरदस्ती रोटी खिलाने का आरोप लगा है। इन सांसदों की मांग थी कि उन्हें महाराष्ट्र के व्यंजन परोसे जाएं। न्यू महाराष्ट्र सदन में खानपान की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी को सौंपी गई है जो भारतीय रेल में खानपान सेवा संचालित करती है। यह सांसद कई दिन से सदन में बिजली-पानी, साफ-सफाई, भोजन व्यवस्था आदि से जुड़ी शिकायतें कर रहे थे। पिछले हफ्ते इन्होंने प्रेस वार्ता बुलाई और फिर संवाददाताओं के साथ भोजन कक्ष में गए और वहां रखे बर्तन वगैरह उठाकर फेंकने शुरू कर दिए। वहां तैनात कर्मचारियों को अभद्र शब्द कहे। फिर रसोई में गए जहां आईआरसीटीसी के आवासी प्रबंधक अरशद जुबैर कर्मचारियों को भोजन आदि से संबंधित निर्देश दे रहे थे। खबर है कि इन सांसदों ने उनकी गर्दन पकड़ी और उनके मुंह में जबरन रोटी ठूंस दी। जुबैर उस वक्त रोजे पर थे। उनकी धार्मिक भावना को जो ठेस पहुंची होगी उसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जुबैर ने उस समय अपनी वर्दी पहन रखी थी और उस पर उनके नाम की पट्टिका भी लगी थी। उस कर्मचारी ने चूंकि रोजा रखा था, ऐसे में मुंह में जबरन रोटी ठूंसना न केवल आपत्तिजनक ही है बल्कि उस कर्मचारी को जिस तरह अपमानित किया गया हम उसकी निन्दा करते हैं, ऐसी हरकत का किसी भी हालत में समर्थन नहीं किया जा सकता। संसद में यह मुद्दा उठने पर घटक दल के बचाव में भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने जो टिप्पणी की, वह भी उतनी ही गैर जिम्मेदार थी। अपने वक्तव्य के लिए बाद में बेशक उन्होंने सदन से माफी मांग ली पर इस तरह के विवादों से बचने के लिए उन्हें अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से कुछ सीखना चाहिए, जिन्होंने जन प्रतिनिधियों के आचरण को गलत बताने में एक मिनट नहीं  लगाई। लेकिन शिवसेना इस मामले में संवेदनशीलता का परिचय देने के बजाय पूरे मुद्दे को अपने खिलाफ सियासी साजिश बताने में  लगी हुई है। हालांकि इस घटना पर न्यू महाराष्ट्र सदन के आवासी आयुक्त ने आईआरसीटीसी और अरशद जुबैर से माफी मांग ली है। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव ने घटना की जांच कराने के बाद उचित कार्रवाई का वचन भी दिया है पर इस तरह अरशद की भावनाओं को पहुंची चोट पर मरहम नहीं लगाया जा सकता। इन दिनों रमजान चल रहे हैं और रोजा रखे किसी व्यक्ति के सामने खाना-पीना भी उचित नहीं माना जाता। ऐसे में इन सांसदों की अरशद के मुंह में जबरन रोटी ठूंसना उनकी आस्था को चोट पहुंचाने वाली हरकत है जिसका हम सख्त विरोध करते हैं। हमें सभी धर्मों, धार्मिक भावनाओं, परम्पराओं व रीति-रिवाज की इज्जत करनी होगी।

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