Sunday, 20 July 2014

मलेशियन प्लेन रूस- यूकेन जंग में निशाना बना

गुरुवार को युद्ध प्रभावित यूकेन में मलेशियाई एयरलाइंस के एक यात्री विमान को मार गिरने का अत्यंत दुखद समाचार आया। यह विमान एमएच-17 पूर्वी यूकेन के इलाके में 33 हजार फुट की उंचाई पर उड़ान भर रहा था। विमान को मास्को के समय के मुताबिक गुरुवार शाम 5.20 बजे रूस में दाखिल होना था। रूसी सीमा से 60 किलोमीटर पहले ही विमान पर मिसाइल से हमला हो गया। घटना यूकेन के वोनेत्सक इलाके में हुई। इस हादसे में विमान में सवार सभी 298 लोगों की मौत हो गई। इनमें 80 बच्चे भी थे। यूकेन के गृहमंत्री का दावा है कि हमला रूस समर्थक आतंकवादियों ने किया है। हमले से मलेशिया, रूस, यूकेन समेत कई देशों में हड़कम्प मच गया। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने फौरन अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा को फोन लगाकर सफाई दी कि हमले में हमारा कोई हाथ नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकियों या विद्रोहियों ने किसी यात्री विमान को निशाना बनाया। मलेशिया का यह विमान एम्सटर्डम से कुआलालम्पुर जा रहा था। रूसी सीमा में दाखिल होने से पहले ही उस पर मिसाइल हमला हो गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक विमान में अमेरिका के 23, नीदरलैंड के 20 से 30, ब्रिटेन के 10, फ्रांस के चार यात्रियों समेत आठ से 10 देशों के नागरिक थे। घटना जिस इलाके में हुई है वहां यूकेन सरकार और रूस समर्थित विद्रोहियों में जंग जारी है। घटना के फौरन बाद यूकेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि हमले के पीछे विद्रोहियों का हाथ है। यूकेन की सेना ने मिसाइल नहीं दागी है जबकि पूर्वी यूकेन के अलगाववादी नेता का दावा है कि हमला यूकेनी सेना ने किया है। क्योंकि जिस मिसाइल सिस्टम की बात की जा रही है वह हमारे पास नहीं है। विमान पर बीयूके मिसाइल लांचर से हमला किया गया है। यह मिसाइल प्रणाली सिर्प रूस के पास है। रूस सैनिक साजो-सामान यूकेन के विद्रोहियों को दे रहा है। ऐसे में  घटना में विद्रोहियों का हाथ होने की पूरी आशंका है। कहा यह भी जा रहा है कि यात्री विमान को विद्रोहियों ने यूकेनी वायुसेना का लड़ाका विमान समझ लिया और मिसाइल दाग दी। विद्रोहियों ने एक दिन पहले ही यानि बुधवार को भी यूकेन के दो जेट मार गिराए थे। चार महीने में मलेशिया को दूसरा बड़ा झटका लगा है। इससे पहले मार्च में कुआलालम्पुर से बीजिंग जा रहा मलेशियाई विमान लापता हो गया था। महीनों खोज होने के बाद भी न विमान का पता चला और न ही उसमें सवार 240 यात्रियों का। अखिरकार सभी को मृत मान लिया गया। विमान का मलबा आज तक नहीं मिल पाया। इत्तेफाक से वह विमान भी बोइंग-777 श्रेणी का ही था। इस बीच एक चौंकाने वाली खबर यह आई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उसी फ्लाइट रुट से लौटने वाले थे जिस पर एमएच-17 के साथ हादसा हुआ। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक मोदी की फ्लाइट रुट को इस हादसे के बाद बदल दिया गया। दरअसल मोदी की फ्लाइट ने हादसे के दो घंटे बाद जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से उड़ान भरी। अगर यह हादसा नहीं होता तो ऐसी स्थिति में पीएम का प्लेन इसी रुट से गुजरता। यह एक निहायत दुखद हादसा है। हम निर्दोष यात्रियों के मरने पर अपना दुख प्रकट करते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।

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