Sunday, 30 April 2017

नौ साल बाद निर्दोष साबित हुईं साध्वी प्रज्ञा

अंतत मालेगांव विस्फोट कांड में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। इसके चलते नौ साल बाद साध्वी प्रज्ञा से अंतत इंसाफ हुआ। जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कांग्रेस और एटीएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साध्वी का आरोप है कि कांग्रेस ने उन्हें पूरी तरह से खत्म करने का षड्यंत्र रचा था। साध्वी जमानत मिलने के बाद गुरुवार को भोपाल में पत्रकारों से रूबरू हुईं। साध्वी ने कहा कि एटीएस उन्हें 10 अक्तूबर 2008 को सूरत से मुंबई लेकर गई थी। वहां उन्हें 13 दिन तक बंधक बनाकर रखा गया और पुरुष एटीएस कर्मियों ने उन्हें खूब प्रताड़ना दी जिसकी वजह से अब वह  बीमार हैं, कैंसर से जूझ रही हैं। साध्वी का कहना है कि वह मानसिक और शारीरिक तौर पर टूट चुकी हैं लेकिन आत्मबल की वजह से लड़ रही हैं। शायद ही आजादी से पहले किसी महिला के साथ ऐसा हुआ हो। उन्होंने मुंबई हमले के शहीद हेमंत करकरे समेत कई एटीएस कर्मियों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए। उनका कहना है कि भगवा आतंकवाद की कहानी कांग्रेस ने रची थी। सच्चाई यह थी कि मालेगांव ब्लास्ट के बारे में साध्वी ने कहा कि दो लोगों को दोषी मानकर सजा दी गई है, लेकिन अदालत को खबर नहीं है। अपने बारे में वह बोलीं कि मैं निर्दोष हूं और थीं। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि वह सभी आरोपों से अर्द्धमुक्त ही हैं, अब इलाज कराने जाएंगी। बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजीत मोरे एवं शालिनी धनसालकर जोशी की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने 78 पेज के आदेश में कहा कि 44 वर्षीय साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एक ऐसी महिला हैं जो वर्ष 2008 से जेल में हैं और कैंसर से पीड़ित हैं। बता दें कि 29 सितम्बर 2008 को नासिक जनपद के मालेगांव कस्बे में एक मोटरसाइकिल में बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और करीब 80 लोग घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा व पुरोहित समेत 11 लोग गिरफ्तार किए गए थे। साध्वी पर आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी की थी। साथ ही वह कट्टर हिन्दुवादी संगठन अभिनव भारत की भोपाल और फरुर्खाबाद की बैठकों में शामिल हुई थीं। दोनों ही आरोप निराधार पाए गए। चूंकि वह बाइक 2004 में ही बेची जा चुकी थी। साध्वी को बिना ठोस सबूतों के नौ साल जेल में रखा गया। हम साध्वी की रिहाई का स्वागत करते हैं। उम्मीद की जाती है कि पिछले नौ सालों में जो उनसे बर्ताव हुआ है और कैंसर जैसी बीमारी ने उन्हें पकड़ लिया है अब यह ढंग से अपना इलाज करा सकेंगी। जो वक्त बीत गया उसका तो अब कुछ नहीं हो सकता।

-अनिल नरेन्द्र

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