Friday 14 April 2017

श्रीनगर में अब तक की सबसे कम वोटिंग?

आतंकियों और अलगाववादियों के बहिष्कार के चलते रविवार को श्रीनगर उपचुनाव में अब तक की सबसे कम 7.14 प्रतिशत वोटिंग सभी के लिए चिन्ता का सबब है। हिंसा की घटनाओं में आठ लोगों का मारा जाना और महज 7.14 प्रतिशत मतदान होना हमारी कई असफलताओं की ओर एक साथ इशारा करता है। यह वही लोकसभा सीट की बात है, जहां पिछली बार लगभग 60 प्रतिशत मतदान हुआ था। चुनाव बहिष्कार की तो तब भी अलगाववादियों ने घोषणा की थी। खतरा तब भी था कि जो लोग बहिष्कार को नजरंदाज करते हुए वोट डालेंगे उन्हें आतंकवादियों के कोप का शिकार बनना पड़ सकता है। इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में घरों से निकले थे और वोट डालने आए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में तो 65 प्रतिशत से ज्यादा रिकार्ड मतदान हुआ था। 2004 के लोकसभा चुनाव में भी जम्मू-कश्मीर में करीब 50 प्रतिशत मतदान हुआ था। श्रीनगर में भी तमाम उपद्रवों के बावजूद 26 प्रतिशत मतदान हो गया था। यह सवाल स्वाभाविक है कि आखिर उपचुनाव में ऐसा क्या हुआ कि मतदान प्रतिशत बढ़ने के बजाय इतना नीचे आ गया जिसे मतदान कहने में ही हिचक हो? वस्तुत पूरी स्थिति भयभीत करने वाली है। जगह-जगह पत्थरबाजों की फौज का दस्ता मतदान रोकने के लिए उत्पात मचा रहा था। सुरक्षा बलों पर हमले किए गए, कहीं मतदान केंद्र में ईवीएम तोड़ा गया तो कहीं मतदान केंद्र की इमारत को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस बार जिस तरह से पथराव हुआ, हिंसा हुई और लोगों की जान गई, उसने बताया कि वोट डालने के लिए घर से न निकलने वालों को यह अहसास शायद पहले से ही था या फिर जो माहौल था, उसमें उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिखा। विरोधियों के लिए यह कहना आसान है कि यह राज्य सरकार एवं चुनाव आयोग दोनों की विफलता है। लेकिन जब फारुक अब्दुल्ला जैसे दिग्गज नेता पत्थरबाजों को वतनपरस्त कह रहे थे, यह बता रहे थे कि वे भूखे रह जाएंगे, लेकिन पत्थर चलाएंगे क्योंकि वे कश्मीर मसले के हल के लिए ऐसा कर रहे हैं। तब फारुक को अहसास नहीं था कि इससे उपद्रवियों का हौंसला और बढ़ेगा? थोड़ी गलती चुनाव आयोग ने भी की। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय की ओर से 10 मार्च को उपचुनाव के कार्यक्रम की घोषणा होने के तुरन्त बाद सख्त शब्दों में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था जिसमें सलाह दी गई थी कि कश्मीर घाटी में माहौल अनुकूल नहीं है इसलिए वोटिंग टाली जानी चाहिए। चुनाव आयोग ने अब अनंतनाग लोकसभा सीट पर 12 अप्रैल को होने वाले चुनाव को 25 मई तक टाल दिया है पर नुकसान तो हो चुका है।

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