Tuesday, 4 April 2017

चाहे जेल भेज दो पर अगली तारीख पर नहीं होऊंगा पेश

यह पहला मौका है जब किसी अवमानना का आरोपी कोई हाई कोर्ट का कार्यरत जज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ हो। मैं बात कर रहा हूं कोलकाता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन का मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात जजों की बैंच के समक्ष शुक्रवार को पेश होने की। न्यायिक इतिहास में ऐसा यह पहला वाकया है। मामले में सात जजों की संविधान पीठ के सामने 50 मिनट सुनवाई चली। इस दौरान जस्टिस कर्णन ने माफी मांगने से इंकार करते हुए कहा कि मैं भी जज हूं। पर मुझे आतंकी जैसा दिखाया जा रहा है। पीठ ने कर्णन को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है कि वह माफी मांगने को तैयार हैं या नहीं? जवाब में जस्टिस कर्णन ने पीठ के सातों जजों के न्यायिक अधिकारों को छीनने और सभी की तनख्वाह से हर महीने 50-50 हजार रुपए काटने का आदेश सुना दिया। हालांकि इस आदेश पर अमल नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कर्णन के सभी न्यायिक अधिकार छीन लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों में बहुत तीखी बहस हुई। सुबह सवा 10 बजे कोर्ट नम्बर वन का ताला खुलते ही कोर्ट रूम खचाखच भर गया। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में सात जजों की संविधान पीठ बैठी और कार्यवाही शुरू हुई। चीफ ने कहाöमिस्टर कर्णन आप अवमानना केस में मौखिक तौर पर जो चाहें कह सकते हैं। जस्टिस कर्णनöमैं भी संवैधानिक पद पर हूं। बिना पक्ष जाने मेरा काम छीन लिया गया है। 20 जजों के खिलाफ शिकायत दी थी। उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। मैं आरोप साबित कर सकता हूं। कोर्ट की कार्यवाही से मेरी प्रतिष्ठा चली गई। मेरा काम लौटा दें। जस्टिस खेहरöजब तक केस चल रहा है, न्यायिक काम नहीं लौटा सकते। आपके आरोपों से कोर्ट की अवमानना हुई है। आपने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। प्रेस कांफ्रेंस की। कहने पर भी कोर्ट नहीं आए। ऊपर से कोर्ट के खिलाफ पत्र जारी कर दिया। जस्टिस कर्णनöमुझे मेरा काम लौटाएं तभी मैं इस पर विचार करूंगा। काम नहीं लौटाया तो मैं पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाऊंंगा। जस्टिस दीपक मिश्राöमिस्टर कर्णन, क्या आप बिना शर्त माफी मांगेंगे? ऐसा करेंगे तो राहत देने पर विचार हो सकता है। जस्टिस कर्णनöइस कार्यवाही से अनुच्छेद-19 और 21 के तहत मिले अधिकार बाधित हुए हैं। जस्टिस खेहरöमिस्टर कर्णन, क्या जजों पर लगाए आरोप वापस लेना चाहेंगे? माफी मांगने को तैयार हैं या नहीं? जस्टिस कर्णन शिकायत पर कार्यवाही न करके मुझे ही माफी मांगने को कह रहे हैं। मेरा काम बहाल किया तो बिना शर्त माफी मांगने पर अपने विचार रखूंगा। जस्टिस खेहरöआप मानसिक तौर पर ठीक नहीं हैं तो किसी डाक्टर से दवा और परामर्श ले सकते हैं। कोर्ट में मेडिकल रिकार्ड पेश कर सकते हैं। जस्टिस कर्णनöमुझे किसी डाक्टर से दवा या सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। मैं पूरी तरह से ठीक हूं। संविधान पीठ आपके खिलाफ सुनवाई कर रही है। यह संविधान पीठ पूरी तरह से असंवैधानिक है जस्टिस कर्णन। मैंने संविधान पीठ और जस्टिस कर्णन के बीच सवाल-जवाब, आरोप-प्रत्यारोप का जो दौर चला उसके प्रमुख अंश पेश कर दिए हैं। मामला पेचीदा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने लंबे न्यायिक इतिहास में ऐसा केस पहले न सुना और न ही उस पर फैसला देने की जरूरत पड़ी। भारतीय लोकतंत्र में सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च संस्था है जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती। हमारी राय में तो यह मामला जस्टिस कर्णन के माफी मांगने से समाप्त हो सकता है। जस्टिस कर्णन पहले बिना शर्त माफी मांगें तो फिर बाकी मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर सकता है। जस्टिस कर्णन को हमारी राय में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को चुनौती देना न केवल मूर्खता है बल्कि गलत परंपरा है। एक बार जस्टिस कर्णन बिना शर्त माफी मांग लें तो सुप्रीम कोर्ट को उनकी जायज शिकायतों पर गौर करना चाहिए। खैर यह तो हमारे विचार हैं देखें, सुप्रीम कोर्ट आगे क्या करता है?

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