Wednesday 26 April 2017

नतीजे तय करेंगे तीनों दलों का भविष्य ः तीनों के लिए चुनौती

दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार गर्मी ने धाकड़ वोटर का दम निकाल दिया। पिछली बार निगम  चुनाव के लिए मतदान वर्ष 2012 में 15 अप्रैल को हुए थे। उस समय मतदान का प्रतिशत 59 फीसदी रहा था। उस दिन अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस था, इस वर्ष मतदान के दिन अधिकतम तापमान 39.6 डिग्री था। वोटों के प्रतिशत गिरने की एक वजह यह भी रही। कुछ वोटर नाराज थे उन्होंने किसी को वोट नहीं दिया। दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा वोट पड़े। बड़ी कालोनियों के वोटर घर से निकले ही नहीं। अब सभी चाय के कप के साथ हार-जीत का इंतजार कर रहे हैं। नगर निगम चुनाव के परिणामों की जहां सभी दिल्लीवासी प्रतीक्षा कर रहे है, वहीं यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों राजनीतिक दलों के लिए खुद को साबित करने के लिहाज से बड़ी चुनौती है। भाजपा इन चुनावों में भी अपनी पैठ साबित करना चाहती है। कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने की चिंता है तो आम आदमी पार्टी के लिए यह अपना जनाधार आंकने का मौका है। भाजपा दिल्ली  प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का यह पहला चुनाव है। ऐसे में उन पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव है, तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय मकान के सामने पार्टी की खोई हुई जमीन को वापस पाने की चुनौती है। वहीं आप को विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद, अब पार्टी के सामने दिल्ली वासियों के दिल में जगह बनाए रखने की परीक्षा है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से अपील की थी कि वे वोट डालने जाएं तो अपने परिजनों का चेहरा सामने रखें। उन्होंने कहा कि भाजपा के निगम में सत्ता में रहते ही गंदगी के चलते दिल्ली के लोगों को डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ा, ऐसे में यदि आम आदमी पार्टी नगर निगम में आती है तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि इस वर्ष डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियां दिल्ली में न हों। दिल्ली विधानसभा चुनव में सोशल मीडिया पर मफलरमैन के नाम से चर्चा में रहे अरविंद केजरीवाल अब नगर निगम चुनाव में झाड़ूमैन बनकर लौटे हैं। आम आदमी पार्टी की सोशल मीडिया टीम ने इस बार उनका अभियान झाड़ूमैन के नाम से चलाया है। आप आदमी पार्टी का कहना है कि विधानसभा चुनाव में मफलरमैन की सफलता को देखते हुए इस प्रयोग को दोहराया जा रहा है। भाजपा अगर चुनाव जीती तो एंटी इन्कमबैंसी पर मोदी लहर भारी पड़ेगी। जीत से भाजपा को दिल्ली में मजबूती मिलेगी। केजरीवाल की घेराबंदी तेज होगी नगर निगम चुनाव की जीत गुजरात, हिमाचल जैसे राज्यों में भाजपा की चुनावी तैयारियों को बल देगी। भाजपा हारी तो मोदी लहर पर विरोधी दल सवाल उठाएंगे भाजपा के खिलाफ मोर्चा बंदी तेज हो सकती है। कांग्रेस जीती तो पार्टी के लिए यह संजीवनी साबित होगी। अजय माकन टीम राहुल के सदस्य हैं इसलिए जीत को राहुल के साथ भी जोड़ा जाएगा। कांग्रेस अगर थोड़ा सा भी बेहतर प्रदर्शन करती है तो गुजरात सहित अन्य चुनावों में इसे भुनाएगी। पार्टी निगम की जीत को कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाली भाजपा पर पलट वार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। अगर कांग्रेस हारी तो दिल्ली में कलह बढ़ेगी। अजय माकन होंगे निशाने पर। अब बात करते हैं अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी की। बहुत से लोग नगर निगम चुनाव को दिल्ली सरकार की कारगुजारी पर जनमत संग्रह मान रहे हैं। पंजाब और गोवा चुनाव में करारी हार के बाद अगर दिल्ली में भी केजरीवाल अच्छा प्रदर्शन नहीं करते तो उनकी सरकार पर दबाव बढ़ेगा। अगर आम आदमी पार्टी हारी तो उसका एकमात्र गढ़ दिल्ली कमजोर होगा। केजरीवाल पर अपनी कथनी और करनी में फर्क का आरोप लगेगा। पार्टी में अंतर्विरोध बढ़ेगा और उसे अंतरकलह से दो चार होना पड़ेगा। केंद्र सरकार का दबदबा दिल्ली में और बढ़ेगा। केजरीवाल के फैसलों पर भी सवाल उठेंगे। इसलिए तीनों दलों के लिए नगर निगम चुनाव परिणाम महत्वपूर्ण हैं जो तीनों दलों का भविष्य कुछ हद तक तय करेंगे।

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