दिल्ली
के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) कार्यालय के
लिए बंगले का आवंटन रद्द कर शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट का पहला झटका लगा दिया है। शुंगलू
कमेटी की रिपोर्ट में राऊज एवेन्यू स्थित इस बंगले के आवंटन को नियम के विरुद्ध बताए
जाने के बाद बैजल ने शुक्रवार को आवंटन रद्द करने का आदेश जारी किया। राजनिवास की ओर
से जारी आदेश में लोक निर्माण मंत्री सत्येन्द्र जैन द्वारा राऊज एवेन्यू स्थित बंगला
नम्बर 206 और 2017 के बारे में प्राप्त
रिकार्ड के आधार पर आवंटन रद्द करने की कार्रवाई की गई है। इसमें कहा गया है कि 206
नम्बर बंगले को पार्टी कार्यालय के रूप में आवंटन को जैन ने अनुमति दी
थी, जबकि मंजूरी से जुड़ी इस फाइल में लोक निर्माण विभाग ने साफ
तौर पर कहा है कि आवासीय बंगले को किसी पार्टी कार्यालय के लिए आवंटन करने का कोई कानूनी
प्रावधान नहीं है, भले ही मंत्रिमंडल ने आवंटन का फैसला किया
है। आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज को लेकर सामने आई शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर सियासी
घमासान शुरू होना स्वाभाविक ही था। भाजपा और कांग्रेस ने इसे लेकर जहां मुख्यमंत्री
अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधा, वहीं आप ने इसे सोची-समझी साजिश का हिस्सा बताया। दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले जारी हुई शुंगलू
कमेटी की रिपोर्ट को लेकर आप ने कहा कि यह पार्टी को बदनाम करने के लिए जानबूझ कर लीक
की गई है। आप नेता दिलीप पांडे और आशुतोष ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि
रिपोर्ट को जारी करने का समय संदिग्ध है। निगम चुनाव से पहले आप को बदनाम करने का प्रयास
किया जा रहा है, चूंकि हमने हाऊस टैक्स माफ करने का वादा किया
है, इससे भाजपा बौखला गई है। बता दें कि सितम्बर 2016
में तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा केजरीवाल सरकार के फैसलों की
समीक्षा के लिए गठित शुंगलू समिति ने सरकार की कुल 440 फाइलों
को खंगाला। शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार द्वारा संविधान और प्रक्रिया
संबंधी नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है। इस रिपोर्ट में ऐसी क्या खास बातें कही
गई हैं जिन पर विवाद हो रहा है। हेल्थ मिनिस्टर सत्येन्द्र जैन की बेटी सौम्या जैन
की दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लिनिक प्रोजेक्ट में मिशन डायरेक्टर सलाहकार पद पर नियुक्ति
को लेकर सवाल उठाए गए हैं। निकुंज अग्रवाल को हेल्थ मिनिस्टर के ओएसडी के रूप में नियुक्त
किए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि यह नियुक्ति प्रोसेस से जुड़े नियमों
का उल्लंघन है। को-टर्मिनस अपाइंटमेंट के लिए एलजी से अप्रूवल
लेना होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 150 ऐसे फैसले
हैं जिसमें कैबिनेट एजेंडे को लेकर एलजी को पूर्व जानकारी नहीं दी गई। केजरीवाल सरकार
द्वारा प्रशासनिक अधिकारों के दुरुपयोग के मामलों में अधिकारियों के तबादले,
तैनाती और अपने करीबियों की कई पदों पर नियुक्ति करने का भी जिक्र है।
कहा गया है कि तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार को लेकर
महाधिवक्ता से परामर्श कर अप्रैल 2015 को मुख्यमंत्री को कानून
के पालन की नसीहत दी थी। वहीं मुख्यमंत्री के सचिव की ओर से सभी विभागों को निर्देश
जारी कर कहा गया कि जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस से जुड़े मामलों
को छोड़कर विधानसभा के विधायी क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी मामलों पर सरकार बेबाकी
से फैसला कर सकेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने समिति को बताया कि उन्होंने
इस बाबत सरकार को अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के बारे में समय-समय पर आगाह भी किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अधिकारियों के
परामर्श को दरकिनार कर संवैधानिक प्रावधानों, सामान्य प्रशासन
से जुड़े कानून और प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन किया है।
-अनिल नरेन्द्र
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