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जद्दोजहद के बाद आखिरकार ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर टेरिसा मे ने यूरोपियन काउंसिल (ईयू) से बाहर जाने
(ब्रेग्जिट) की बुधवार को आधिकारिक घोषणा
कर दी। इसी के साथ 1973 में ईयू के सदस्य बने ब्रिटेन का समूह
से 44 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया। ईयू में ब्रिटेन के स्थायी
प्रतिनिधि टिम बैरो ने यूरोपीय राष्ट्रीय अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क को इस बाबत एक पत्र
सौंपा। ब्रिटेन ने लिस्बन संधि के अनुच्छेद-50 को लागू करने की
जानकारी दी। अब ब्रिटेन-यूरोपीय संघ से व्यापार, आव्रजन और अन्य मुद्दों पर नए सिरे से वार्ता होगी। ब्रेग्जिट की वार्ता मध्य
मई से शुरू होगी और दो साल में पूरी होगी। नौ माह पहले जून 2016 में हुए जनमत संग्रह में ब्रिटिश जनता ने ईयू से अलग होने पर मुहर लगाई थी।
ब्रिटिश पीएम मे ने कहा कि ब्रिटेन यूरोप का अहम सहयोगी और दोस्त बने रहना चाहता है।
अगर यूरोपीय संघ ने अनावश्यक रोड़े अटकाए तो यह सभी का नुकसान होगा। उधर जर्मन चांसलर
एंजेला मर्कल ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि ब्रिटेन में रह रहे यूरोपीय लोगों पर
बुरा असर न पड़े। हमें उम्मीद है कि ब्रिटेन और ईयू प्रगाढ़ सहयोगी बने रहेंगे। ब्रेग्जिट
अंग्रेजी के ब्रिटेन और एक्सिट शब्द से मिलकर बना है। इसका मतलब है ब्रिटेन का निकलना।
इसे ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता है। ब्रिटेन
के ईयू से अलग होने के कई कारण बताए जा रहे हैं। अप्रवासियों, आर्थिक विकास और ईयू के सख्त नियमों से ब्रिटेन के नागरिक नाराज थे। लिहाजा
उन्होंने ईयू से अलग होने की मांग की और 23 जून 2016 में वहां जनमत संग्रह कराया गया। जनमत संग्रह में 57.9 फीसदी मतदाताओं ने ईयू से अलग होने के पक्ष में वोट डाला, वहीं 48.1 फीसदी ने वोट के जरिये ईयू के साथ रहने की
इच्छा जाहिर की। जनमत संग्रह के नतीजे ब्रेग्जिट के पक्ष में आते ही तत्कालीन प्रधानमंत्री
डेविड कैमरन को पद छोड़ना पड़ा। पूर्व गृहमंत्री टेरिसा मे ने प्रधानमंत्री की कुर्सी
संभाली। बता दें कि यूरोपीय संघ 28 यूरोपीय देशों का संगठन है।
रोम संधि के जरिये 1957 में इसकी नींव रखी गई थी। उस वक्त केवल
छह देशों ने आर्थिक सहयोग के लिए हाथ मिलाया था। 1993 में आस्ट्रिया
संधि के जरिये नीदरलैंड में मौजूदा ईयू की नींव रखी गई थी। सदस्य देश एक मुद्रा,
एक बाजार और एक सीमा के सिद्धांत पर काम करते हैं। 19 की आधिकारिक मुद्रा यूरो है। यूरो को आधिकारिक मुद्रा न बनाने वाले देशों में
ब्रिटेन भी शामिल है। अनुच्छेद-50 लागू करने के बाद दोनों पक्षों
को दो साल के अंदर अलग होने की शर्तों पर सहमत होना होगा। ब्रिटेन का यह बहुत बड़ा
फैसला है। देखें, इसको कैसे क्रियान्वयन किया जाता है। दोनों
पक्षों के लिए चुनौती है।
-अनिल नरेन्द्र
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