Thursday, 20 April 2017

विपक्षी दलों की एकता बनी ईवीएम मशीन

ईवीएम तो विपक्षी एकता का मुद्दा बन गया है। ईवीएम मशीनों द्वारा कथित तौर पर गलत मतदान करने पर विरोधी दल संसद से लेकर सड़कों तक एक दिखे। निर्वाचन आयोग और राष्ट्रपति के यहां जाकर भी विरोधी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने एकजुटता दिखाई है। ईवीएम के खिलाफ बोलने की शुरुआत करने वाली मायावती ने मुद्दे को संसद में भी उठाया जिस पर जमकर हंगामा हुआ। दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल तो आए दिन इसे उठाते रहते हैं। अब तो मायावती की विरोधी रही समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी अपनी आवाज उठा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में इसका जिक्र भी किया। भुवनेश्वर में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ईवीएम समेत अवार्ड वापसी के मुद्दे पर विरोधी दलों पर जमकर हल्ला बोला। विरोधी दलों के आरोप को खारिज करते हुए पीएम ने कहा कि यह विपक्षी दलों की फैक्टरी की उपज है जो ठहर नहीं सकती। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद केवल सरकार को बदलना नहीं बल्कि समाज को बदलना है। ईवीएम समेत अवार्ड वापसी के मुद्दों पर उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दे जबरन बनाए जाते हैं और उनका उद्देश्य वह मुद्दा कतई नहीं होता है। ईवीएम भी ऐसा ही मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले चर्चों पर हमले और अवार्ड वापसी को मुद्दा बनाया गया था। पीएम ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि अब अवार्ड वापसी वाले कहां हैं? ऐसे मुद्दे ज्यादा समय तक टिक नहीं सकते। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है उसकी स्थिति कभी-कभी कंफ्यूज जरूर कर देती है। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समय पर खरीद के लिए तत्काल धन जारी करे ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन मशीनों को उपयोग में लाया जा सके। जैदी ने यह भी कहा कि अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को वह समय सीमा बताने का निर्देश दिया है जिसके भीतर वीवीपीएटी की पूरी प्रणाली अमल में लाई जाएगी। सीईसी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि मौजूदा माहौल से उनका मतलब क्या है? लेकिन लगता है कि विपक्ष की ओर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने का हवाला दे रहे थे। देश के 16 दलों ने हाल ही में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मतपत्र वाली व्यवस्था फिर शुरू करने का आग्रह किया था। अपने पत्र में जैदी ने यह याद दिलाया कि वह सरकार को पहले ही सूचित कर चुके हैं कि वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए आर्डर फरवरी 2017 तक नहीं दिया गया तो सितम्बर 2018 तक वीवीपीएटी की आपूर्ति मुश्किल होगी। चुनाव आयोग को 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों को कवर करने के लिए 16 लाख से अधिक पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी। इस पर 3,174 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है।

-अनिल नरेन्द्र

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