Thursday, 6 April 2017

अजमेर बम विस्फोट मामले में इंद्रेश व साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट

अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में एनआईए कोर्ट ने सोमवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी। इस रिपोर्ट में एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा और आरएसएस प्रचारक इंद्रेश कुमार को क्लीन चिट दे दी है। अब कोर्ट इस रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को सुनवाई करेगा। जिसमें तय होगा कि इस रिपोर्ट का क्या करना है। कोर्ट इस मामले में दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुना चुका है। इंद्रेश कुमार और साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। यह फैसला पहले ही सुनाया जा चुका है। एनआईए ने साफ कहा कि उसे इंद्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा, राजेन्द्र और रमेश उर्फ प्रिंस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। हालांकि एनआईए कोर्ट के जज दिनेश कुमार गुप्ता ने जांच की धीमी गति और मामले में तीन भगोड़ों सुरेश नायर, रामचंद्र कालासांगरा और संदीप डांगे के न पकड़े जाने पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने 8 मार्च को भावेश पटेल, देवेन्द्र गुप्ता और सुनील जोशी को दोषी ठहराया था और स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया था। जोशी की सुनवाई के दौरान जेल में मौत हो चुकी है। मामले में 149 गवाह पेश हुए और 451 दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे गए। एनआईए ने केस में तीन बार पूरक आरोप पत्र दाखिल किए।  घटना वाले दिन 11 अक्तूबर 2007 को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में रोजा इफ्तार के दौरान धमाका हुआ था। इसमें तीन लोग मारे गए थे और 15 घायल हुए थे। राजस्थान एटीएस ने मामले की शुरुआती जांच के बाद केस एनआईए को सौंप दिया था। एनआईए ने 6 अप्रैल 2011 को फिर केस दर्ज किया था। कोर्ट में सुनवाई उन्हीं 13 लोगों के खिलाफ हुई थी, जिन्हें एनआईए की जांच एजेंसी रिपोर्ट में आरोपी माना गया था। जबकि इस कांड में साध्वी प्रज्ञा और इंद्रेश कुमार का नाम भी आ रहा था। जांच एजेंसी ने इन दोनों को अंतिम रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दी थी। इसी कोर्ट में सुनवाई के दौरान एनआईए की अंतिम रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए गए थे जिसमें इन दोनें को क्लीन चिट क्यों दी गई। इस पर कोर्ट ने आरोपियों में तीन को दोषी मानते हुए सजा सुनाई और एनआईए को अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था। इसके बाद ही सोमवार को यह रिपोर्ट पेश की गई थी। कोर्ट ने एनआईए महानिदेशक को फरार तीन आरोपियों की तलाश के मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को भी कहा। अदालत ने केरल के मुख्य सचिव, कोमी कोड और इंदौर के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर यह भी पूछा कि नायर और कालासांगरा की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा न सौंपे जाने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। कोर्ट ने फरवरी में रिपोर्ट मांगी थी।

öअनिल नरेन्द्र

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