Sunday 2 April 2017

उफ! अभी से मई-जून की गर्मी झुलसाने लगी है

मार्च का महीना अभी बीता भी नहीं कि सूरज की तपिश ने आंखें दिखानी शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पारा 40 के पार पहुंच रहा है। सोमवार के बाद से ही दिल्ली समेत नौ राज्य लू की चपेट में आ गए हैं। भारतीय मौसम विभाग ने महाराष्ट्र में लू की चेतावनी जारी की है। विभाग के मुताबिक महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और गुजरात के ज्यादातर हिस्सों में लू चल रही है। राजस्थान के पश्चिमी और पूर्वी इलाकों की स्थिति अभी से गंभीर होने लगी है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य के औरंगाबाद और सोलापुर जिलों में लू से लोगों के मरने की खबर है। महाराष्ट्र में ही पांच लोगों की मौत हो गई है। इधर दिल्ली-एनसीआर में तापमान बढ़ना शुरू हो गया है। दो दिनों से बढ़ रहे तापमान ने अपने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ दिए हैं, साथ ही गरम हवाओं के थपेड़ों ने मौसम के मिजाज में उबाल ला दिया है। मौसम विभाग ने गुरुवार को बादल छाने की संभावना जताई थी, लेकिन इसके उलट दिनभर की तपिश से लोग पसीना-पसीना रहे। गुरुवार के दिन की शुरुआत ही सामान्य दिनों की तुलना में छह डिग्री अधिक तापमान से हुई और रात आठ बजे तक अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस बना हुआ था। ये आंकड़े बता रहे हैं कि पारा अपने पिछले रिकार्ड तोड़ने पर आमादा है। अभी से कई सारी जगहों का पारा 42 डिग्री सेल्सियस के पार निकल गया है। माना जा रहा है कि इस साल गर्मी लंबी चलेगी। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी का यह दौर अल नीनो की वजह से हो रहा है। जिस मार्च में अधिकतम तापमान 34-35 डिग्री से आगे नहीं जाता था वह अभी से 42 डिग्री पार कर रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के सन्दर्भ में आशंका तो पहले ही व्यक्त की जा रही है कि यही रफ्तार रही तो अगले 50 से 100 साल में धरती का तापमान इतना बढ़ चुका होगा कि इसका मुकाबला असंभव हो जाएगा। इस खतरे के लिए हम खुद दोषी हैं। हमारी अपनी जीवनशैली, वन तो कटे ही, घरों में आंगन क्या, पौधों की क्यारी भी खत्म हो गई है। फ्लैट कल्चर ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। बिजली की अभी से मांग चरम पर पहुंच गई है। एक तरफ गर्मी का प्रकोप दूसरी तरफ बिजली कट से लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा। मौसमी उल्टफेर से आपदा की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। उधर मानसून की कमी की भी संभावना प्रकट की जा रही है। सूखा और अकाल पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। सभी को अभी से तय करना होगा कि इस गर्मी की हालत में फसल और जीवन दोनों कैसे सुरक्षित रहेंगे? घरों में, कारों में चलते एयरकंडीशनर भले ही गर्मी में ठंडक का अहसास दें, लेकिन इनसे निकलने वाली गर्मी ग्रीन हाउस के असर को बढ़ा रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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