Wednesday, 5 April 2017

ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों पर आयोग का जवाब?

इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि ईवीएम पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले महीने पांच राज्यों में सम्पन्न विधानसभा चुनाव एवं महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ किए जाने के आरोप लगे। ईवीएम में गड़बड़ी के कई सवाल खड़े किए गए। अब एक बार फिर गड़बड़ी का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। विवाद का केंद्रबिन्दु है मध्य प्रदेश का भिंड। जहां दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अभ्यास कार्यक्रम में वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवी पैट) से केवल कमल निशान वाली पर्चियां निकल रही थीं। अटेर उपचुनाव से पहले मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने गत शुक्रवार को ईवीएम मशीन का जायजा लेते समय दो अलग-अलग बटन दबाए तो वीवीपीएटी से कमल के फूल का प्रिन्ट बाहर आया। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा तलब किए जाने पर जहां राज्य निर्वाचन आयोग ने इस प्रकार की किसी भी बात से इंकार किया वहीं डेमो के वक्त मौके पर मौजूद पत्रकारों के सवाल उठाने पर मुख्य चुनाव अधिकारी ने आपा खो दिया और उन्हें जेल में बंद करने तक की धमकी दे डाली। उत्तर प्रदेश में भाजपा की हैरतअंगेज जीत पर सबसे आक्रामक मायावती हुई थीं जिन्होंने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बार-बार यही आरोप लगा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि दिल्ली नगर निगम के चुनावों में बैलेट पेपरों का इस्तेमाल हो। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के आरोपों को फिर से खारिज कर दिया है। आयोग ने आप के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए ईवीएम में गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहराना बेहद गलत हरकत है। आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम मशीन पूरी तरह से न सिर्फ विश्वसनीय है बल्कि इसमें किसी भी तरह से छेड़छाड़ किया जाना संभव नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से आयोग ईवीएम से पूरी तरह संतुष्ट है। इस बीच ही चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि आयोग ने एम-3 टाइप ईवीएम खरीदने का फैसला किया है। खास बात यह है कि नई ईवीएम से किसी प्रकार की छेड़छाड़ करना संभव नहीं होगा। एम-3 प्रकार की ईवीएम में मशीनों की यथार्थता के लिए एक सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम लगा है। यह मशीनें एक अपनी प्रमाणन प्रणाली के साथ आएंगी। सिर्फ एक सही ईवीएम क्षेत्र की अन्य ईवीएम के साथ संवाद कर सकती है। इसका निर्माण ऊर्जा पीएसयूईसीआईएल या रक्षा क्षेत्रों की पीएसयूबीईएल द्वारा किया जाना चाहिए। किसी भी अन्य कंपनी द्वारा बनाई गई ईवीएम अन्य मशीनों से संवाद नहीं कर पाएंगी। इस तरह गलत मशीनों का पर्दाफाश हो जाएगा। यह तो अच्छी बात है कि लोकसभा 2019 के चुनाव से पहले यह नई आधुनिक मशीनें आ जाएंगी पर क्या चुनाव आयोग के इस बयान का यह मतलब निकाला जाए कि वर्तमान में जो ईवीएम मशीनें इस्तेमाल हो रही हैं उनमें गड़बड़ी हो सकती है? छेड़छाड़ संभव है? जब चुनाव आयोग यह दावा करता है कि नई मशीनों में अगर छेड़छाड़ हुई तो वह काम बंद कर देंगी तो इसका मतलब है कि मौजूदा मशीनों में यह छेड़छाड़ संभव है? किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनावी प्रणाली अत्यंत आवश्यक है। यह डेमोक्रेसी की बुनियाद है जिस पर इमारत टिकी हुई है। इसको सही से करने के लिए ही स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव आयोग का गठन किया गया है जो किसी भी प्रकार के दबाव में काम न करे। भारतीय चुनाव आयोग का सिर्फ यही काम है। अगर मौजूदा ईवीएम मशीनों में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ संभव है तो चुनाव आयोग को यह स्वीकार करना चाहिए। उसे इसके आरोपियों को यह साबित करने का मौका देना चाहिए कि वह छेड़छाड़ के अपने आरोपों को सिद्ध करें। चुनाव आयोग को हमारी राय में सियासी बयानों से परहेज करना चाहिए। उसे यह नहीं कहना चाहिए कि फलां पार्टी को अपनी हार के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए न कि ईवीएम मशीनों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाए। मामला सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है। चुनाव आयोग को शीर्ष अदालत के सामने यह साबित करना होगा कि मौजूदा ईवीएम मशीनों में छेड़छाड़ संभव नहीं है।

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