भारतीय
जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया है कि
देश में भाजपा की आंधी चल रही है,
जिसमें विपक्ष तिनके की तरह उड़ जाएगी। राजनाथ Eिसह ने बस्ती में एक चुनावी सभा में कहा कि तीन चरणों में हुए मतदान के रूझान
से विपक्षी दल घबरा गए हैं और उनमें निराशा फैल गई है। देश में भाजपा की सुनामी चल
रही है। लोकसभा चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं और चौथे चरण में भी 14 राज्यों की 71 सीटों पर मत पड़ गए हैं। चौथे चरण में
जिन 71 सीटों पर वोट डाले गए हैं वहां, पिछले चुनाव में इन्हीं सीटों के दम पर भाजपा को अपने दम पर बहुमत और एनडीए
को प्रचंड बहुमत मिला था। तब राजग ने इन 71 सीटों में से
56 यानि 79 प्रतिशत सीटों पर कब्जा किया था। इनमें
से 45 सीटें भाजपा ने जीती थीं। चौथे चरण में कई दिलचस्प मुकाबले
हुए हैं। मुंबई उत्तर-मध्य लोकसभा सीट पर मराठी और मुस्लिम वोट
निर्णायक साबित हो सकते हैं, जहां भाजपा की मौजूदा सांसद पूनम
महाजन और कांग्रेस की स्वर्गीय सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त के बीच मुकाबला है।
वर्ष 2014 के चुनाव में पूनम महाजन ने प्रिया दत्त को पराजित
किया था। भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम पिछले पांच सालों में किए
गए अपने कामों पर मतदाताओं से वोट मांग रही हैं जबकि दिवंगत सुनील दत्त की बेटी का
कहना है कि उनकी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने के लिए है। मतदाता जनसांख्यिकी के अनुसार
निर्वाचन क्षेत्र में मराठी भाषी निवासियों का वर्चस्व है, इसके
बाद मुस्लिम, उत्तर भारतीय, गुजराती और
मारवाड़ी, ईसाई और दक्षिण भारतीय आते हैं। 2014 में महाजन ने उस समय की सांसद दत्त को 1,86,000 मतों
से हराया था। देखें क्या प्रिया पूनम से इस बार यह सीट छीन सकती हैं। मुंबई उत्तर लोकसभा
सीट ऐसा क्षेत्र हैं जहां भाजपा के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी के खिलाफ कांग्रेस कोई
उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही थी, लेकिन फिल्म स्टार उर्मिला मातोंडकर
को इस सीट से उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस अब मुकाबले में आती दिख रही है। यह राज्य
में भाजपा की सबसे पुख्ता सीटों में से एक है और पूर्व निगम पार्षद, कई बार विधायक रहे शेट्टी ने 2014 के आम चुनावों में
मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरूपम को 4.46 लाख मतों से शिकस्त
दी थी। निरूपम के इस सीट से इस बार चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त करने के बाद कांग्रेस
कार्यकर्ताओं में थोड़ी हताशा थी। उन्होंने कहा कि मातोंडकर ने सियासी मुद्दों को लेकर
अपनी स्पष्टता से कई लोगों को चौंका दिया और यह भी साफ कर दिया कि भाजपा को यहां चुनौती
का सामना करना पड़ेगा और यह सीट उसके लिए आसान होने वाली नहीं। मुंबई की छह लोकसभा
सीटों की अगर बात करें तो दक्षिणी मुंबई सबसे हॉट सीट है। यहां कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद
देवड़ा मैदान में हैं। उनकी टक्कर है शिवसेना के मौजूदा सांसद अरविन्द सावंत से। इस
बार मिलिंद देवड़ा मजबूत दिख रहे हैं। मनसे इस बार कांग्रेस-एनसीपी
के समर्थन में मैदान से बाहर है। अब एक और फिल्मी सितारे की बात करते हैं। चंडीगढ़
की सीट पर भाजपा ने एक बार फिर किरण खेर को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कर रहे
हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल। बंसल के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन भी मैदान
में डटे हुए हैं। भाजपा की किरण खेर को पार्टी की भीतर से ही विरोध का सामना करना पड़
रहा है। पार्टी में टिकट को लेकर खींचतान चल रही थी। चंडीगढ़ में भाजपा की टिकट के
लिए कई मजबूत दावेदार थे। किरण खेर को जहां एक तरफ पवन कुमार बंसल और हरमोहन धवन से
मुकाबला करना होगा वहीं पार्टी के भीतर नाराजगी को झेलना पड़ेगा। वर्ष 2014
के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने फिल्म स्टार गुल पनाग को मैदान
में उतारकर चुनौती पेश की थी। गुल पनाग को लगभग एक लाख वोट मिले थे। वह तीसरे स्थान
पर रही थीं। इस बार चंडीगढ़ का मुकाबला कड़ा होगा। किरण खेर को जीतने के लिए पूरा दमखम
लगाना होगा। अब हटकर हम एक और बहुचर्चित मुकाबले की ओर मुड़ते हैं। यह है उत्तर प्रदेश
के उन्नाव का मुकाबला। भाजपा और कांग्रेस के बीच मानी जा रही चुनावी लड़ाई को गठबंधन
ने त्रिकोणीय मुकाबले में बदल दिया है। मोदी लहर में 2014 में
जीती भाजपा वोट बैंक में बिखराव से जूझ रही है तो 2009 में रिकॉर्ड
मतों से जीतने वाली कांग्रेस फिर मोदी फैक्टर और गठबंधन से। नतीजे कुछ भी हों लेकिन
इस बार एकतरफा मतदान के आसार नहीं हैं। पिछले चुनाव में सपा-बसपा
अलग-अलग लड़े थे और चार लाख से अधिक मत हासिल किए। इस बार दोनों
साथ हैं। इससे चुनावी समीकरण बदल भी सकते हैं। गठबंधन ने यहां अरुण शंकर शुक्ल उर्प
अन्ना महाराज को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रमुख दलों में अकेले ब्राह्मण प्रत्याशी
होने और सपा-बसपा के वोट बैंक के सहारे वह कड़ी चुनौती बनते नजर
आ रहे हैं। वहीं भाजपा ने मौजूदा सांसद साक्षी महाराज पर ही भरोसा जताया। साक्षी महाराज
पिछड़े वर्ग से अकेले प्रत्याशी हैं। भाजपा मोदी लहर और राष्ट्रवाद के मुद्दे के सहारे
चुनावी लड़ाई आसान मान रही है। हालांकि भाजपा का परंपरागत सवर्ण वोट बैंक गठबंधन प्रत्याशी
की सेंधमारी और मुस्लिम मतदाताओं में गठबंधन को लेकर रूझान उसकी चिन्ता बढ़ाए हुए हैं।
कांग्रेस ने अन्नू टंडन को चुनाव में उतारा है। कांग्रेस अन्नू के ट्रस्ट के माध्यम
से गरीबों, बीमारों व अग्नि पीड़ितों की सहायता को देखते हुए
जीत की उम्मीद कर रही है। हालांकि मुस्लिम व सवर्ण वोटरों में बिखराव से चिन्ता बढ़ी
हुई है। पिछली बार भी इन्हीं तीनों प्रमुख प्रत्याशियों में लड़ाई थी। बीते चुनाव में
चौथे चरण में भाजपा ओडिशा में खाली हाथ रही थी। पश्चिम बंगाल में महज एक सीट मिली थी।
पार्टी को इन दोनों राज्यों में सीटें बढ़ाने की चुनौती होगी। पार्टी के लिए सुखद स्थिति
इन राज्यों में उसका निर्विवाद रूप से दूसरी ताकत बन जाना है। हालांकि दूसरी ओर बीते
चुनाव के उलट पार्टी को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मजबूत
गठबंधन का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा पार्टी को राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे उन राज्यों में कांग्रेस से सीधी चुनौती मिलेगी, जहां अब वह सत्ता में नहीं है।
-अनिल नरेन्द्र