Saturday 29 February 2020

दिल्ली हिंसा ने 2002 गुजरात दंगों की याद दिला दी

दिल्ली हिंसा पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्र और भाजपा सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। सोनिया गांधी ने भाजपा सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए पांच सवाल पूछे हैं। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर भी सवाल दागा और पूछा कि दंगों के दौरान वह क्या कर रहे थे? बुधवार को कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहाöइन हादसों के पीछे एक सोचा-समझा षड्यंत्र है, जिसे दिल्ली चुनाव के दौरान भी देखा गया। भाजपा नेता डर और नफरत फैलाने वाले बयान दे रहे हैं। पिछले रविवार को भी एक भाजपा नेता ने ऐसा ही भड़काऊ बयान दिया था। उसने दिल्ली पुलिस को भी कहा था कि तीन दिन बीतने के बाद हमें कुछ नहीं कहना। सोनिया गांधी ने केंद्र और दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहाöकेंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न करने की वजह से 20 से अधिक लोग मारे गए। दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल की भी मौत हो गई। एक पत्रकार समेत  सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इस स्थिति को देखते हुए कांग्रेस समिति का मानना है कि दिल्ली में मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र सरकार और खासतौर पर गृहमंत्री जिम्मेदार हैं और कांग्रेस गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग करती है। सोनिया गांधी ने शाह-केजरी से पांच सवाल भी पूछे। पिछले रविवार से देश के गृहमंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे? रविवार से दिल्ली के मुख्यमंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे? दिल्ली चुनाव के बाद इंटेलीजेंस एजेंसी के द्वारा क्या जानकारी दी गई और उस पर क्या कार्रवाई हुई? रविवार की रात से कितनी पुलिस फोर्स दंगों वाले इलाकों में लगाई गई, जबकि यह साफ था कि दंगे और ज्यादा फैलने वाले हैं? जब दिल्ली में हालात बेकाबू हो गए थे, पुलिस का कंट्रोल नहीं हो सका था, तब तुरन्त एक्शन की जरूरत थी। उस समय अतिरिक्त सुरक्षा फोर्स लगानी चाहिए थी, ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके। शांति कमेटी बनाई जानी चाहिए थी, ताकि कोई और ऐसी घटना न हो। सीनियर सिविल सर्वेंट हर जिले में  लगाने चाहिए थे, ताकि स्थिति से निपटा जा सके। मुख्यमंत्री को प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों से बात करनी चाहिए थी। ऐसा क्यों नहीं हुआ? सोनिया गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा ने बुधवार को कहा कि अब हिंसा समाप्त हो रही है और सच्चाई सामने लाने के लिए जांच भी शुरू हो गई है, ऐसे में सभी दलों की प्राथमिकता शांति स्थायी होनी चाहिए। साथ ही पार्टी ने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग को हास्यास्पद करार दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जाव़ड़ेकर ने संवाददाताओं से कहाöकांग्रेस के हाथ 84 के दंगों के खून से रंगे हैं। उनके द्वारा ऐसी बातें करना उचित नहीं है। जांच में यह बात भी सामने आ जाएगी कि किसने पथराव की तैयारी की। किसने वाहनों को आग लगाई और कौन पिछले दो माह से लोगों को उकसा रहा था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूछ रही है कि अमित शाह कहां थे? अमित शाह ने कल सभी दलों की बैठक ली, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के साथ-साथ कांग्रेस के नेता भी उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की ऐसी टिप्पणियों से पुलिस का मनोबल गिरता है। वहीं माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि दिल्ली हिंसा ने 2002 के गुजरात दंगों की याद दिला दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सेना को बुलाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। भाकपा महासचिव डी. राजा के साथ संवाददाताओं से दावा किया, यह स्पष्ट है कि दिल्ली में हिंसा को पुलिस और उन ताकतों की शह थी जो उन्हें संचालित करते हैं। येचुरी ने कहा कि दिल्ली में हिंसा की घटनाओं ने गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक नरसंहार की याद दिला दी जब मौजूदा प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री थे। राजा और येचुरी ने हिंसा से निपटने में गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका पर सवाल उठाया और उन पर ऐसी स्थिति से निपटने में समर्थ नहीं होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने पूछाöअगर एनएसए को दिल्ली पुलिस का प्रभारी माना जाए तो गृहमंत्री की क्या भूमिका है? क्या सरकार ने यह मान लिया है कि गृहमंत्री दिल्ली हिंसा से निपटने में अक्षम हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर कुछ भी तत्काल नहीं हुआ। उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह इसे स्वत भड़की हिंसा कहकर इसकी सुनियोजित प्रवृत्ति को छिपाना चाहते हैं। राजा ने आरोप लगाया कि आरएसएस-भाजपा गुंडों के हाथों कत्लेआम, आगजनी और धमकी के दौर के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

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