Sunday, 16 February 2020

हाफिज सईद की सजा दबाव में उठाया फैसला

लाहौर की आतंकवाद निरोधी अदालत द्वारा जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद तथा उसके करीबी को साढ़े पांच साल की दो सजाओं से इतना तो साबित हो ही गया है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव का असर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पर है, अन्यथा उसका मुकदमा इससे पहले कभी भी ठीक तरीके से नहीं लड़ा गया। पाक की आतंकरोधी अदालत (एटीएस) ने सईद और उसके करीबी जफर इकबाल को आतंकवाद के वित्त-पोषण के दो मामलों में साढ़े पांच साल की कैद सुनाई। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। प्रथम दृष्ट्या ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने इस मामले में आखिरकार सख्ती दिखाई है। लेकिन इसकी पृष्ठभूमि पर नजर डालने पर फिलहाल यह सिर्प औपचारिकता ही दिखाई देती है। अब तक जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद की कारगुजारियों के जगजाहिर होने के बावजूद पाकिस्तान ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने को लेकर जिस तरह का टालमटोल देखा गया था, उससे तो यही लगता था कि उसे बचाने की कोशिश शीर्ष स्तर से की जा रही थी। लेकिन यह तभी तक संभव था, जब तक कि पाकिस्तान के इस रुख का असर उसके खिलाफ बनने वाले वैश्विक माहौल और उससे होने वाले व्यापक नुकसान के रूप में सामने नहीं आ रहा था। जाहिर है कि जब इसकी शुरुआत हो गई तब जाकर पाकिस्तान को शायद इस मामले की गंभीरता का अंदाजा हुआ। चूंकि न्यायालय ने सईद की आतंकवाद के वित्त-पोषण मामले में उसके खिलाफ चल रहे छह मामलों को एक साथ जोड़ने की अपील भी स्वीकार कर ली, इसलिए आने वाले समय में उसको और सजा भी मिल सकती है। उसके खिलाफ आतंकवाद के वित्त-पोषण को लेकर कुल 23 मुकदमे दर्ज हैं। दो में सजा के बाद उसके खिलाफ अब भी 21 मामले कायम हैं। हमारे लिए यह ज्यादा राहत की बात इसलिए नहीं है कि संसद हमले से लेकर 2006 के मुंबई उपनगरीय रेलों पर तथा फिर 26 नवम्बर 2008 को सबसे भयावह मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान की यही एटीएस टालमटोल का रवैया अपनाती रही है। उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराया जा चुका है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा है तो उसके आतंकवादी होने में दुनिया को कोई संदेह नहीं था। पर पाकिस्तान में उसे पूरा सम्मान व सुरक्षा मिल रही थी। लगता है कि पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में डाले जाने की आशंका ने पाकिस्तान को मजबूर कर दिया कि वह कुछ कार्रवाई करके दिखाए। लश्कर--तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को जेल भेजने का फैसला कितना प्रभावी होता है यह तो वक्त ही बताएगा, क्योंकि यह फैसला पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय आतंकी नेटवर्प के खिलाफ इस्लामाबाद की कार्रवाई की वैश्विक निगरानी संस्था (एफएसटीएफ) द्वारा समीक्षा किए जाने के महज कुछ दिन पहले आया है। यह फैसला पेरिस में होने वाली बैठक से महज चार दिन पहले आया है।

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