Sunday 23 February 2020

राकेश मारिया के सनसनीखेज खुलासे

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया की पुस्तक से सियासत गरम हो गई है। मारिया ने अपनी पुस्तक `लेट मी से इट नाऊ' में सनसनीखेज तथ्य उजागर किया है कि पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर--तैयबा ने मुंबई 26/11 हमले को हिन्दू आतंकवाद के रूप में पेश करने की साजिश रची थी। पुस्तक के अनुसार कसाब को हिन्दू आतंकवादी दिखाने की कोशिश की थी और इसी कारण अजमल कसाब के हाथ में हिन्दू कलावा पहनाया गया था और बाकी सभी हमलावरों को हिन्दू साबित करने के लिए उनके साथ फर्जी पहचान पत्र भी मौजूद थे। किताब में मारिया ने 26/11 मुंबई हमले में एकमात्र पकड़े गए जिन्दा आतंकवादी अजमल कसाब के संबंध में बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि यदि कसाब जिन्दा नहीं पकड़ा जाता तो यही लगता कि यह हमला हिन्दू आतंकवादियों ने किया है क्योंकि सभी आतंकियों के पास हिन्दू नाम के फर्जी पहचान पत्र थे। पुस्तक के अनुसार लश्कर ने पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब के हाथ में कलावा बांधकर भेजा था और उसके पास बेंगलुरु निवासी समीर चौधरी के नाम से पहचान पत्र भी था। साजिश के मुताबिक जवाबी कार्रवाई में कसाब मारा जता तो इसे आसानी से हिन्दू आतंक का नाम दे दिया जाता। लेकिन मुंबई हमले का सबसे दुखद पहलू यह है कि यहां के कुछ लोग भी इस षड्यंत्र का हिस्सा थे, जिनकी कोशिश थी कि मुंबई हमले के तार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जोड़ दिए जाएं। इस कड़ी में एक उर्दू पत्रकार ने गलत तथ्यों के आधार पर पूरी पुस्तक लिख डाली थी जिसका विमोचन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने किया था। इस तरह की साजिश न तो पहली थी और न ही अंतिम। भारत में एक वर्ग ऐसा है जो पाकिस्तान के भारत विरोधी षड्यंत्र का हिस्सा बन जाता है। यह वर्ग आरएसएस का विरोधी है और इस संगठन के बहुप्रचारित कथन को झूठा सिद्ध करने पर आमादा है कि हिन्दू आतंकवादी नहीं हो सकता। देश में दो-तीन आतंकी वारदातें हुईं, जिनसे हिन्दू संगठनों के नाम जुड़े हैं। हालांकि एक मामले से जुड़े आरोपियों पर न्यायिक कार्रवाई अभी चल रही है, बाकी मामलों के सभी अभियुक्त बरी कर दिए गए हैं। मारिया के इस रहस्योद्घाटन के बाद महाराष्ट्र प्रदेश महासचिव व विधायक अतुल मातखलकर ने मामले की दोबारा जांच करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि 26/11 की जांच के लिए पूर्व सचिव राम प्रधान समिति की रिपोर्ट को तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने विधानसभा सदन में पूरी तरह पेश नहीं किया था। उस समय कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि 26/11 आतंकी हमले में शहीद तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी अशोक कामटे को अजमल कसाब ने नहीं मारा था। उस बीच 26/11 हमले में सरकारी वकील रहे उज्जवल निकम ने कहा कि मुंबई हमले में मारे गए 10 आतंकियों में से नौ के पास हिन्दू आईडी थी। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने मुंबई अपराध जगत से जुड़ा एक और बड़ा खुलासा किया है। यह कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या से संबंधित है। मारिया ने अपनी आत्मकथा पुस्तक में लिखा है कि उन्हें पहले ही खबरी से टिप मिल गई थी कि शिव मंदिर में गुलशन कुमार की हत्या होने वाली है। 26/11 हमले की जांच के लिए गठित राम प्रधान समिति को स्थानीय कनेक्शन के सुराग मिले थे, जिन्होंने आतंकियों की मदद की थी। आतंकी हमले के 10 साल बाद 26 नवम्बर 2018 को एक इंटरव्यू में राम प्रधान ने स्वीकार किया था कि तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने स्थानीय कनेक्शन का रिपोर्ट में जिक्र करने से रोका था, इसलिए रिपोर्ट में स्थानीय कनेक्शन का खुलासा नहीं किया गया। राकेश मारिया के सनसनीखेज खुलासों में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है। कुछ लोगों का मानना है कि अपनी किताब का प्रचार करने के लिए यह सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं।

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