Thursday 27 February 2020

ड्यूटी पर निकले रतन को बेटी ने कहा, बाय-पापा

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में सोमवार को हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के एक हैड कांस्टेबल शहीद हो गए। 42 साल के रतन लाल गोकुलपुरी एसीपी ऑफिस में तैनात थे। वह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन और आगजनी कर रही भीड़ के हमले के शिकार हुए। रतन लाल को तुरन्त जीटीबी हॉस्पिटल में ले जाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शहीद रतन लाल मूल रूप से राजस्थान के सीकर जिले की तहसील रामगढ़ के गांव तिहावली के रहने वाले थे। उन्होंने 1998 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन की थी। रतन लाल परिवार के साथ फिलहाल बुराड़ी के अमृत विहार स्थित गली नम्बर-8 में रहते थे। उनके परिवार में पत्नी पूनम, दो बेटियां और एक सबसे छोटा बेटा है। पूनम हाउस वाइफ हैं। सबसे बड़ी बेटी 13 साल की सिद्धी सातवीं कक्षा में, 10 साल की कनक पांचवीं कक्षा में और पांच साल का राम पहली क्लास में पढ़ रहे हैं। तीनों बच्चे एनपीएल स्थिति दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते हैं। परिवार वालों ने बताया कि रतन लाल सुबह ड्यूटी पर निकले। हर बार की तरह बच्चों ने पापा को बाय बोला था। ड्यूटी से जब भी घर लौटते, घर की जरूरतों के लिए सब्जी वगैरह साथ लाते थे। बच्चों के लिए कुछ न कुछ जरूर लेकर आते थे। वह हमेशा बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे। रविवार से ही मौजपुर, जाफराबाद और अन्य इलाकों में भड़की हिंसा के बारे में परिवार को रतन लाल ने जानकारी दी थी। सोमवार को जब वह ड्यूटी पर गए तो पत्नी ने उनकी खैरियत जानने के लिए फोन किया। तब सब कुछ ठीक था। दोपहर बाद जैसे ही टीवी पर हैडलाइन देखी, रतन की पत्नी परेशान हो गई। उन्होंने पति को फोन मिलाया। रिंग जाती रही। उसके बाद बच्चे बेचैन हो गए। कुछ ही समय में पुष्टि हुई कि रतन लाल अब इस दुनिया में नहीं रहे। हम शहीद रतन लाल को श्रद्धांजलि देते हैं और एक और सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहीद हो गया।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment