Sunday 23 February 2020

जर्मनी के हुक्का बारों में गोलीबारी, फ्रांस में इमामों पर प्रतिबंध

पिछले कुछ समय से यूरोप अलकायदा और उसके समर्थकों के निशान पर है। आए दिन खबर आती है कि यूरोप के फलां शहर में आतंकी हमला हुआ है। हाल ही में लंदन में आतंकी हमला हुआ था। अब खबर आई है कि जर्मनी के हनाऊ शहर में हुक्का बारों को निशाना बनाकर की गई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हो गई जिसके बाद रातभर हमलावरों की तलाश की गई। जर्मनी में हुई दो गोलीबारी की घटनाओं के संदिग्ध बंदूकधारी की मौत हो गई है। गौरतलब है कि बुधवार शाम को स्थानीय समयानुसार रात 10 बजे के आसपास हनाऊ में दो अलग-अलग स्थानों पर गोलीबारी की घटनाएं हुईं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार एक गहरे रंग का वाहन पहले अपराध स्थल से भाग गया। पहला हमला हनाऊ शहर के केंद्र में मिड-नाइट हुक्का बार में हुआ। वहीं दूसरा हमला एरिना बार के पास हुआ। पुलिस ने कहा कि एक वाहन को पहले हमले के स्थान पर लगभग 10 बजे छोड़ा गया। साथ ही दूसरी जगह पर एक और शूटिंग की वारदात हुई। पुलिस ने बयान में पीड़ितों पर कोई जानकारी नहीं दी और कहा कि यह हमला क्यों किया गया। इसको लेकर कोई जानकारी नहीं है। हनाऊ के मेयर क्लास कमिंसकी ने बाइल्ड अखबार को बताया कि यह एक भयानक शाम थी जो निश्चित रूप से हमें लंबे समय तक परेशान करेगी और हम दुख के साथ इसे याद करेंगे। बिल्ड अखबार ने कहा कि एक बंदूकधारी ने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई और लोगों पर गोलियां चला दीं। उधर एहतियाती कदम उठाते हुए फ्रांस सरकार ने विदेशी इमाम और मुस्लिम शिक्षकों को देश में आने पर रोक लगा दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को कहा कि यह फैसला कट्टरपंथ और अलगाववाद रोकने के लिए लिया है। साथ ही स्पष्ट किया कि फ्रांस में मौजूद सभी इमामों को फ्रेंच सीखना अनिवार्य होगा। उन्होंने आगाह किया कि फ्रांस में रहने वालों को कानून का सख्ती से पालन करना होगा। राष्ट्रपति मैक्रों ने पूर्वी फ्रांस के मुस्लिम बाहुल्य मुलहाउस शहर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इनकी वजह से देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ा है। इसके अलावा विदेशी दखलंदाजी भी नजर आती है। दिक्कत तब होती है जब मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते। पिछले साल फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी। इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम हैं। फ्रांस ने वर्ष 1977 में चार देशों से एक समझौता किया था, जिसके तहत अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की फ्रांस में इमाम, मुस्लिम शिक्षक भेज सकते थे। हर साल 300 इमाम करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देने फ्रांस आते हैं। वर्ष 2020 के बाद यह समझौता खत्म हो जाएगा। सरकार ने आदेश दिया है कि इमामों को स्थानीय भाषा सिखाएं और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाएं।

-अनिल नरेन्द्र

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