Saturday 8 February 2020

एनआरसी ः पूरे देश में लागू करने का कोई प्लान नहीं

देश में कई जगहों पर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। एनआरसी को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार को लोकसभा में एनआरसी पर साफ किया गया कि इसे देशभर में लागू करने का फैसला नहीं लिया गया है। शाहीन बाग में लगभग 52 दिन से धरने पर बैठी महिलाओं के चेहरे पर इस खबर के बाद कुछ उम्मीद की किरण नजर आई। महिलाओं का कहना है कि उनकी लड़ाई एनआरसी, सीएए और एनपीआर को लेकर है। जब तक केंद्र सरकार इन तीनों को वापस नहीं लेती या सीएए में संशोधन कर सभी धर्मों के लोगों को नहीं जोड़ती है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। बहरहाल, प्रदर्शन स्थल तक जाने वाली हर गली में भारी संख्या में पुलिस फोर्स और आरएएफ के जवान तैनात हैं। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में चंदन सिंह और नागेश्वर राव के प्रश्नों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। राय ने कहा कि अभी तक एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सांसदों ने सवाल किया था कि क्या सरकार की पूरे देश में एनआरसी लाने की कोई योजना है? लोकसभा में सांसद नवासखनी ने एक प्रश्न में सरकार से जानना चाहा कि क्या मुस्लिम शरणार्थियों को अब भारत में नागरिता प्रदान की जाएगी? केंद्रीय मंत्री नित्यानंद ने इस पर लिखित जवाब दिया कि नागरिकता प्रदान करने के कानून में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जरूरी शर्तों को पूरा करने वाले विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। यह किसी भी धर्म के हो सकते हैं। शाहीन बाग प्रदर्शन में शामिल रुखसार बेगम ने कहा कि सुबह जब उन्हें यह खबर मिली कि एनआरसी को पूरे देश में लागू न करने का प्लान है तो उनके अंदर थोड़ी-सी उम्मीद जगी। उन्हें उम्मीद है कि आगे की बची हुई लड़ाई भी वह जल्द जीत लेंगी। प्रधानमंत्री के बयान पर भी प्रदर्शनकारियों में नाराजगी देखने को मिली। नाजिया ने कहा कि दिल्ली चुनाव की वजह से केंद्र सरकार का पूरा ध्यान शाहीन बाग पर है। उन्होंने सवाल किया कि अगर शाहीन बाग प्रयोग हो रहा है तो बाकी राज्यों में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर जो विरोध हो रहे हैं, वह क्या हैं? यहां पर इतनी दिनों से महिलाएं सड़क पर बैठी हैं तो उन्हें पता है कि वह किसलिए बैठी हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह किसी पार्टी का प्रोपेगंडा होता तो महिलाएं इतने दिनों तक सड़क पर बैठी नहीं होतीं। उलटा भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर नोटबंदी ने आम लोगों को लाइन में खड़ा कर दिया। इसे प्रयोग कहते हैं, जो अपने प्रोपेगंडा को सही करने के लिए राजनीतिक पार्टियां आम लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर देती हैं, जबकि शाहीन बाग में चल रहे विरोरध की सबसे बड़ी बात यही है कि इस विरोध को खड़ा करने में किसी विपक्षी पार्टी का योगदान नहीं है।

-अनिल नरेन्द्र

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