Sunday, 2 February 2020

घृणा, नफरत की राजनीति

यह शायद ही किसी ने सोचा हो कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर समर्थन और विरोध का सिलसिला इतना खतरनाक हो जाएगा, जहां गोली चलने की नौबत आ जाए। सीएए पर जारी नफरत का सिलसिला गुरुवार को खतरनाक मुकाम तक तब पहुंच गया जब महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर जामिया नगर में सीएए विरोधी प्रदर्शन में घुसे एक लड़के ने गोली चला दी। वह चिल्ला रहा था, यह लो आजादी। गोली जामिया के छात्र शादाब के हाथ में लगी। कहा जा रहा है कि गोली चलाने वाला हमलावर नाबालिग है और 12वीं का छात्र है। उसे हिरासत में ले लिया गया है और उस पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया है। घटना के विरोध में जामिया में घंटों तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। कांग्रेस और माकपा ने आरोप लगाया कि घटना भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों का नतीजा है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 27 जनवरी को एक रैली में नारे लगवाए थे, देश के गद्दारों को, गोली मारो... को। वहीं भाजपा सांसाद प्रवेश वर्मा ने भी शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को लेकर कहा था कि यह घरों में घुसकर बहन-बेटियों से दुष्कर्म करेंगे। गृहमंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि ईवीएम का बटन इतने गुस्से से दबाना कि करंट शाहीन बाग तक पहुंचे। उल्लेखनीय है कि जामिया में लोग गांधी की पुण्यतिथि पर सीएए के खिलाफ राजघाट तक मार्च निकालना चाहते थे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग कर रखी थी। उसी दौरान हमलावर ने गोली चला दी। इस घटनाक्रम पर राजनीति भी छिड़ गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय Eिसह ने आरोप लगाया कि हार से डर चुकी भाजपा दिल्ली विधानसभा का चुनाव टलवाने की साजिश रच रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से बात कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी कोई घटना बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अमित शाह से पूछा कि दिल्ली में यह क्या हो रहा है? कृपया दिल्ली की कानून व्यवस्था संभालें। छिपा नहीं है कि आंदोलनकारी छात्रों पर गोली चलाने वाले, हिंसा करने वाले हमलावर के पीछे कौन है? किसी सरकारी फैसले का शांतिपूर्ण और तार्पिक विरोध हर नागरिकता का अधिकार है, उसे हिंसक तरीके से रोकने का प्रयास किसी भी तरीके से लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए दावा किया कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि देश की सत्ता पर घृणा काबिज है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह आरोप भी लगाया कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर विफल होने के बाद अब यह सरकार देश को बांटने की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि जामिया में जो हुआ वह नफरत के माहौल का प्रकटीकरण है। दिनदहाड़े और सैकड़ों लोगों के सामने गोलीबारी यह दिखाती है कि माहौल कितना विषैला हो गया है।

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