Thursday 13 February 2020

अनिल अंबानी बोले मैं दिवालिया हूं

अनिल अंबानी ने चीन के बैंकों के कर्ज से जुड़े विवाद के लिए गत शुकवार को इंग्लैंड हाईकोर्ट में दलील रखी कि उनके नेटवर्थ जीरो हैं। वे दिवालिया हैं इसलिए बकाया नहीं चुका सकते। परिवार के लोग भी उनकी मदद नहीं कर पाएंगे। लेकिन, कोर्ट ने अंबानी के वकीलों की दलीलों को खारिज करते हुए छह हफ्ते में 10 करोड़ डॉलर (714 करोड़ रुपए) जमा करने का आदेश दिए। चीन के तीन बैंकों इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चायना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्जिम बैंक ऑफ चायना लि. ने अनिल अंबानी के खिलाफ लंदन की अदालत में केस किया था। इन बैंकों ने अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन (आर कॉम) को 2012 में 70 करोड़ डालर (5000 करोड़ रुपए) का कर्ज दिया था, लेकिन आर कॉम भुगतान नहीं कर पाई। बैंकों का दावा है कि अनिल अंबानी लोन के गारंटर थे। बैंकों के वकील ने यह भी कहा कि कई मौकों पर अनिल अंबानी के परिवार के सदस्य उनकी मदद कर चुके हैं। अंबानी के वकीलों ने कहा कि उनके क्लाइंट को मां, पत्नी और बेटों के एसेट्स और शेयरों का एक्सेस नहीं है। लेकिन बैंकों ने सवाल उठाया क्या यह माना जा सकता है कि अfिनल अंबानी की मां, पत्नी और बेटे जरूरत के वक्त उनकी मदद नहीं करेंगे? साथ ही कहा कि अनिल अंबानी के भाई मुकेश अंबानी एशिया में सबसे अमीर हैं। अंबानी के वकीलों ने अदालत में कहा कि 2012 में उनके क्लाईंट के निवेश की वैल्यू 700 करोड़ डालर (50,000 करोड़) थी। लेकिन अब जीरो है। बैंकों के वकील ने इस वादे पर सवाल उठाते हुए अंबानी के खर्चों और लाइफ स्टाइल का भी जिक किया। वकील ने अंबानी के पास 11 लक्जरी कारें, एक पाइवेट जेट और दक्षिण मुंबई में सीविंड पर फार्म हाउस में रेंट फी एक्सेस होने का हवाला दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज डेविड वॉक्समैन ने कहा कि वित्तीय स्थिति का हवाला देकर अंबानी की ओर से बचाव की जो दलीले रखी गई हैं उनमें पारदर्शिता नहीं दिख रही। इसलिए इन्हें खारिज किया जाता है। अंबानी परिवार के एक सदस्य का यूं अपने आप को दिवालिया सार्वजनिक रूप से घोषित करना वाकई चौंकाने वाला है। अन्य मामलों की तरह इस बार भी शायद बड़े भाई मुकेश अनिल को बचाने के लिए आगे आएं।  बेटे की ऐसी हरकतों से अगर धीरुभाई जिंदा होते तो बहुत परेशान जरूर होते। अनिल अंबानी कहां से कहां पहुंच गए यह सब उद्योगपतियों के लिए एक सबक है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment