Thursday 6 February 2020

शाहीन बाग चकव्यूह से केजरीवाल को निकलने की चुनौती

राजधानी दिल्ली की दक्षिण दिल्ली की छोटी-सी बस्ती शाहीन बाग में बीते करीब डेढ़ महीने से जारी धरना धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जब जारी हुआ था तो इसके पीछे विपक्ष का शायद यह इरादा था कि इससे पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर हमला करने का यह मुद्दा अच्छा है। धीरे-धीरे यह पदर्शन दूसरे शहरों में भी फैल गया। पर जैसे-जैसे समय गुजरता गया भाजपा ने इसे हवा देनी आरंभ कर दी। दरअसल भाजपा ने इस चुनाव में शाहीन बाग में हो रहे सीएए विरोधी धरने को यहां चुनावी मुद्दा बना दिया। उनके तमाम नेता जिसमें खुद पधानमंत्री भी शामिल हैं, ने इस धरने को लेकर बयान दे रहे हैं। चूंकि नोएडा-कालिंदी पुंज रोड पर जारी इस धरने से आसपास की कई विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की आवाजाही पभावित हो रही है, लिहाजा भाजपा के विरोध का असर इन पभावित लोगें पर होता भी दिख रहा है। माना जा रहा है कि आसपास की आठ से दस सीटों पर इसका असर हो रहा है। शाहीन बाग मुद्दे की बदौलत एक समय पस्त दिख रही भाजपा अपने कोर वोटर (30 से 35 फीसदी) को अपने कैंप में लाने में सफल होती दिख रही है। पार्टी का आकामक हिंदुत्व का असर अब तक उन फ्लोटिंग वोट करीब (20 से 22) फीसदी जिसकी बदौलत लोकसभा में क्लीन स्वीप किया था नहीं दिख रहा। लोकसभा चुनाव में आप से बाजी मारने वाली कांग्रेस पस्त है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं व कोर वोटर को शाहीन बाग के मुद्दे के चलते काफी हद तक अपनी और खींचने में सफल होती दिख रही है। केजरीवाल के पास भाजपा के इस आकामक हिदुत्व की काट करने वाला बौद्धिक चेहरा नहीं है। इस समय योगेन्द्र यादव, पशांत भूषण, जस्टिस हेगड़े, कुमार विश्वास की टीम उनके साथ होती तो आप बेहतर स्थिति में होती। दिल्ली की चुनावी महाभारत का शाहीन बाग एक ऐसा चकव्यूह बन गया है जिससे निकलना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व आम आदमी पार्टी (आप) के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। इनकी सियासी तासीर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में 70 से 67 सीटें जीतकर रिकार्ड बनाने वाले केजरीवाल की सत्ता वापसी के रास्ते में शाहीन बाग सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ गया है। शाहीन बाग में शनिवार को जब दूसरी बार गोली चली तो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने शाहीन बाग में धरना देने वालों से अपील की कि उन्हें अपने धरने को लेकर दोबारा विचार करना चाहिए ताकि इसका राजनीतिक फायदा नहीं उठाया जा सके। आप नेताओं का मानना है कि शाहीन बाग अब उन्हें ही नुकसान पहुंचा सकता है। पर आम आदमी पार्टी ऐसे चकव्यूह में फंस गई है जिससे निकलना उसके लिए इधर कुआं तो उधर खाई जैसा है।

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