Friday, 28 February 2020

राजद्रोह कानून पर कोर्ट का नजरिया

सीएए-एनआरसी के खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस--इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की रैली में गुरुवार को हंगामा हो गया। एक महिला ने मंच पर पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए। युवती का नाम अमूल्या बताया जा रहा है। इसके बाद महिला को जबरन मंच से उतार दिया गया। उसके उपर देशद्रोह का केस दर्ज हो गया है और उसे 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है। वहीं ओवैसी ने कहा कि वह पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारों का समर्थन नहीं करते। पुलिस ने महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा-124ए के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया है। राजद्रोह एक बार फिर चर्चा में आना स्वाभाविक ही है। पिछले दिनों सरकार ने संसद में बताया कि तीन सालों में अलग-अलग राज्यों में करीब 313 लोगों पर राजद्रोह के आरोप में कार्रवाई की गई है। उधर शाहीन बाग में आक्रामक भाषण देने के लिए राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार शरजील इमाम के समर्थन में नारा लगाने वाले एक छात्रा पर भी राजद्रोह का केस दर्ज कर लिया गया। राजद्रोह का मामला शुरू से ही विवादों में रहा है। चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करके इस कानून पर सवाल उठाए गए थे। याचिका में कहा गया कि सरकार इसका दुरुपयोग कर रही है। आईपीसी की धारा-124ए के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाता है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1962 में केदारनाथ बनाम बिहार राज्य के मामले में व्यवस्था दे रखी है, उसका पालन किया जाना चाहिए और इसको लेकर सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए। याचिका में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया गया और कहा गया कि जब उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया था तब महात्मा गांधी ने कहा था कि यह कानून लोगों की आवाज दबाने के लिए बनाया गया है। आईपीसी की धारा-124ए के मुताबिक अगर कोई शख्स देश (भारत सरकार) के खिलाफ लिखकर, बोलकर या फिर किसी भी माध्यम से अभिव्यक्ति के जरिये विद्रोह करता है या समुदायों के बीच नफरत के बीज बोता है या ऐसी कोशिश करता है तो राजद्रोह का केस बनेगा। इसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा उम्रकैद है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एमएल लोहाटी बताते हैं कि अनुच्छेद-19-(1)() के तहत देश के हर नागरिक को विचार रखने, जाहिर करने की आजादी है लेकिन यह संवैधानिक अधिकारपूर्ण नहीं है, बल्कि इस पर वाजिब रोक भी है। अनुच्छेद-19(2) के तहत वाजिब रोक की बात है। वाजिब दायरे में वैसे बयान हैं जो किसी की मानहानि करते हों या जिससे देश में नफरत या हिंसा फैले या हिंसा फैलाने का खतरा है तो मामला राजद्रोह का बन जाता है यानि अभिव्यक्ति की आजादी की एक तय सीमा है। जेएनयू में नारेबाजी के मामले में कन्हैया कुमार पर देशद्रोह के केस में भी चार्जशीट तो दाखिल है पर दिल्ली सरकार की इजाजत का अभी भी इंतजार है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment