चुनाव आयोग ने गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद झारखंड का राज्यसभा चुनाव रद्द कर दिया। शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब आयोग को इतना कड़ा फैसला लेना पड़ा है। झारखंड में अब इस चुनाव की अधिसूचना नए सिरे से जारी होंगे। इसका मतलब यह है कि नामांकन और वोटिंग भी नए सिरे से होगी। गौरतलब है कि शुक्रवार को झारखंड की दो और उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के लिए वोटिंग हुई। इसी बीच एक घटना यह हुई कि झारखंड में वोटिंग से पहले एक निर्दलीय उम्मीदवार आरके अग्रवाल के करीबी के पास 2.15 करोड़ रुपये बरामद हुए। आयोग को अंदेशा हुआ कि यह रकम वोट के बदले विधायकों को दी जानी थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने इस फैसले के लिए चुनाव आयोग की तारीफ की है। `मील का पत्थर' करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि इस कदम से पैसे के बल पर चुनावी अखाड़े में कूदने वाले लोगों पर लगाम लगाए जाने का रास्ता साफ हो पाएगा। अंशुमान मिश्रा की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा के भीतर मचा घमासान अभी शांत नहीं हुआ था कि शुक्रवार को तड़के मतदान से पहले निर्दलीय उम्मीदवार आरके अग्रवाल के छोटे भाई सुरेश अग्रवाल की कार से आयकर विभाग ने छापा मारकर 2 करोड़ 15 लाख रुपये जब्त किए। इसी जब्ती के साथ विधायकों की सूची भी मिली। झारखंड का ताजा विवाद प्रवासी भारतीय व्यवसायी अंशुमन मिश्रा के साथ शुरू हुआ। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के अंशुमान मिश्रा का समर्थन करने की घोषणा के बाद भाजपा में विद्रोह हो गया और वरिष्ठ भाजपा नेताओं के दबाव में मिश्रा से भाजपा को समर्थन वापस लेना पड़ा। इस प्रकरण से भाजपा की खूब छीछालेदर हुई। अंशुमान मिश्रा ने गुस्से में प्रतिक्रिया स्वरूप अरुण जेटली, डॉ. मुरली मनोहर जोशी पर आरोप लगा दिए पर जल्द उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ या कराया गया और उन्होंने माफी मांग ली पर तब तक बुहत देर हो चुकी थी। अरुण जेटली ने अंशुमान मिश्रा पर उनके खिलाफ कथित झूठा आरोप लगाने पर 100 करोड़ रुपये की मानहानि का केस ठोक दिया है। आपराधिक मानहानि याचिका में जेटली ने एक और एंगल जोड़ दिया है। जेटली ने इस विवादित प्रकरण में अब कर्नाटक के गवर्नर एचआर भारद्वाज को भी लपेट लिया है। आपराधिक मानहानि की याचिका में अरुण जेटली ने रहस्योद्घाटन किया कि उनकी मिश्रा से मुलाकात 2011 के मध्य में बेंगलुरु में राजभवन में हुई जब भारद्वाज ने मिश्रा को नाश्ते के लिए आमंत्रित किया। जेटली ने याचिका में उल्लेख किया कि वह मिश्रा की राजभवन में हो रही मेहमाननवाजी और उनकी नाश्ते के टेबल पर हुई उपस्थिति पर आश्चर्यचकित हुए थे। बकौल जेटली मिश्रा की उपस्थिति के दौरान ही भारद्वाज ने राज्य संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श किया जबकि मिश्रा का राज्य से कोई लेना-देना नहीं है। अगर मिश्रा का प्रकरण कोर्ट में सुना जाता है तो इससे हंसराज भारद्वाज की किरकिरी जरूर हो सकती है। इधर जेटली ने मिश्रा का साक्षात्कार प्रसारित करने वाले टीवी चैनलों को भी आड़े हाथों लिया है। साक्षात्कार में मिश्रा ने जेटली सहित भाजपा के अन्य नेताओं पर गम्भीर आरोप लगाए थे। मिश्रा ने तो माफी मांग ली है लेकिन लगता है कि टीवी चैनल जेटली से जरूर परेशान होंगे। जेटली ने वैधानिक नोटिस में मांग की है कि जिन चैनलों ने जितने मिनट तक मिश्रा का साक्षात्कार प्रसारित किया है उतनी ही अवधि तक वह जेटली से माफी मांगें। झारखंड राज्य का गठन एक आदिवासी बहुल राज्य के रूप में जरूर हुआ पर यहां से राज्यसभा में शुरू से ही बाहर के लोग, खासतौर पर पूंजपतियों ने दाखिला पाया। इस सिलसिले में एक भ्रष्ट परम्परा के रूप में स्वीकृति मिले, इससे पहले चुनाव आयोग sन लोकतांत्रिक मर्यादाओं को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। झारखंड में सरकारों के गठन को लेकर भी गठजोड़ और समर्थन-विरोध की काफी घिनौनी राजनीति होती रही है। अब भी वहां एक गठबंधन सरकार ही है, जिसके समन्वय के बजाय अंतर्विरोध की खबरें आए दिन सुर्खियां बनती हैं। चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव तो रद्द कर दिया पर इससे शायद ही भाजपा में मचे घमासान रुके। अध्यक्ष नितिन गडकरी निशाने पर हैं और इधर अरुण जेटली मिश्रा को सबक सिखाने पर तुले हैं।
Anil Narendra, Daily Pratap, Election Commission, Jharkhand, Rajya Sabha Poll, Vir Arjun
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