Sunday 22 April 2012

रामसेतु मुद्दे पर फिर सामने आया संप्रग सरकार का हिन्दू विरोधी चेहरा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 22 April 2012
अनिल नरेन्द्र
यह बहुत दुख की बात है कि मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार ने करोड़ों
हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा रामसेतु-सेतु समुद्रम केस में अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के मसले पर अपना पक्ष रखने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट से ही इस मामले पर फैसला सुनाने की अपील की। केंद्र की ओर से पक्ष नहीं रखे जाने पर अदालत ने इस मुद्दे पर अगस्त में अंतिम सुनवाई करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जनता पार्टी के अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी के आवेदन पर सरकार से जवाब-तलब किया था, लेकिन सरकार ने जवाब देने से इंकार कर यह साफ कर दिया कि वह हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से जुड़े इस ज्वलंत मुद्दे से दूर रहना चाहती है। पीठ के समक्ष एडिशनल सालिसिटर जनरल हरेन रावल ने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के मसले पर वह कोई पक्ष नहीं रखना चाहती। उन्होंने कहा कि सरकार अपने 2008 में दाखिल किए गए जवाब पर कायम है, जिसमें कहा गया था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है, लेकिन धार्मिक विश्वास के मसले पर उसे जवाब नहीं देना चाहिए। पीठ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर इस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पौराणिक धरोहर रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की गई थी। शीर्षस्थ अदालत की ओर से इस मसले पर सरकार को 29 मार्च को पहले भी दो सप्ताह का समय दिया जा चुका है। केंद्र ने कहा कि वह कोई पक्ष नहीं पेश करना चाहता। ऐसे में अदालत इस मसले पर निर्णय ले। इस पर पीठ ने कहा कि यदि सरकार हलफनामा नहीं दाखिल करना चाहती तो अदालत दलीलें पेश करने की प्रक्रिया की ओर रुख करेगी।
यह बहुत दुख की बात है कि संप्रग की यह सरकार करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं को दरकिनार करने का साहस दिखा रही है। करोड़ों हिन्दुओं में यह मान्यता है कि यह सेतु हनुमान जी ने भगवान श्रीराम को लंका पहुंचाने के लिए बनाया था। यह सेतु आज भी साफ नजर आता है। दुखद पहलू यह है कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने में किसी और धर्म के किसी समुदाय को कोई एतराज नहीं। यहां तक कि देश के करोड़ों मुसलमान, सिख, ईसाई भी इसका समर्थन करते हैं। रामायण सभी का पूज्य ग्रंथ है। हां विरोध कर रही है तो द्रमुक पार्टी कर रही है। रावण वंश के ये लोग इस सेतु को तोड़कर रास्ता बनाना चाहते हैं। इसके पीछे उनकी क्या नीयत है यह किसी से छिपा नहीं। उससे भी ज्यादा दुखद बात यह है कि अपने आपको हिन्दू पार्टी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी ने भी वोटों की खातिर डॉ. स्वामी का कभी खुलकर समर्थन नहीं किया। हां विश्व हिन्दू परिषद ने जरूर समर्थन किया है। विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि केंद्र सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना को समाप्त करने का हलफनामा न देकर एक बार फिर हिन्दू विरोधी मानस का परिचय दिया है। अपनी-अपनी मान्यता है, श्री हनुमान द्वारा बनाए गए इस सेतु को कोई नहीं तोड़ सकता। जय श्री हनुमान, जय श्री राम।

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