देश की जनता को अब डीजल की कीमतों में वृद्धि के लिए तैयार हो जाना चाहिए। सरकार ने पेट्रोल की तरह डीजल की कीमतें भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की तैयारी कर ली है यानि अब आम आदमी खासकर किसानों को महंगा डीजल मिलेगा। सरकार ने ऐलान किया है कि डीजल को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। इस फैसले को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है, लेकिन इसे लागू करने की तारीख का संकेत नहीं दिया गया है। वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा ने राज्य सरकार को यह जानकारी दी। मीणा ने एनके सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में सदन को बताया कि सरकार ने डीजल की कीमतों को बाजार द्वारा निर्धारित करने पर सिद्धांत अपनी सहमति दे दी है। हालांकि अभी इसे अमल में नहीं लाया गया है। लेकिन रसोई गैस की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि मीणा ने इस सन्दर्भ में सरकार की प्रतिबद्धता भी बताई। उन्होंने कहा कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और घरेलू महंगाई की स्थिति में आम आदमी को बचाने के लिए डीजल की खुदरा कीमतों को ठीक करने का प्रयास जारी रखेगी। जैसे ही मीणा ने यह जवाब दिया इसकी प्रतिक्रिया हो गई। विपक्षी दलों के साथ ही सहयोगी दलों की भृकुटियां तन गईं। सबसे पहले भाजपा ने इसकी आलोचना की। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहाöऐसा लगता है कि सरकार बहुत जल्द ही डीजल की कीमत बढ़ाने जा रही है। सरकार के इस तरह के किसी कदम का भाजपा पूरा विरोध करेगी। इससे न सिर्प यात्रा खर्च बढ़ेगा बल्कि दूसरी चीजों में भी तेजी आएगी। भाजपा के बाद संप्रग की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने भी साफ कर दिया कि वह पेट्रो मूल्य वृद्धि पर अपने अड़ियल रुख में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है। पार्टी सांसद राय ने कहा कि डीजल की कीमत तय करने का अधिकार तेल कम्पनियों को देने का विरोध किया जाएगा। दरअसल डीजल मूल्य विनियंत्रण का सैद्धांतिक फैसला पिछले वर्ष जून में ही हो गया था, लेकिन विरोध के चलते इस पर कभी अमल नहीं हुआ। डीजल की कीमत अभी भी सरकार ही तय करती है। यही वजह है कि सरकारी तेल कम्पनियां डीजल को 12 रुपये प्रति लीटर के घाटे में बेच रही हैं। घाटे से आजिज आकर तेल कम्पनियों ने धमकी दी है कि या तो कीमत बढ़ाने की इजाजत दी जाए वरना आगे ईंधन की आपूर्ति करना सम्भव नहीं होगा। राजनीतिक वजहों, खासकर पांच राज्यों के बीते विधानसभा चुनावों के कारण संप्रग सरकार दिसम्बर 2011 के बाद से पेट्रोलियम पदार्थों में कोई मूल्यवृद्धि नहीं कर पाई है। अब सरकार बजट सत्र की समाप्ति के बाद पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमत बढ़ाने की इजाजत तेल कम्पनियों को देना चाहती है। लेकिन लगता नहीं कि उसके लिए अब भी ऐसा करना आसान होगा। डीजल सारे जनमानस को प्रभावित करेगा। किसान से लेकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, रेलवे इत्यादि सभी सीधे प्रभावित होंगे। सरकार को कोई भी फैसला करने से पहले सारे पहलुओं पर गम्भीरता से विचार करना बेहतर होगा। एक बार डीजल को सरकारी नियंत्रण से हटा लिया तो स्थिति बिल्कुल बेकाबू हो सकती है।
Anil Narendra, Daily Pratap, Diesel, Inflation, Petrol Price, Vir Arjun
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