Saturday 21 April 2012

अकेली शीला दीक्षित हार की जिम्मेदार नहीं हैं

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 21 April 2012
अनिल नरेन्द्र
दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की हार का जिम्मेदार कौन है? वैसे कांग्रेस में पोस्टमार्टम करने की प्रथा नहीं और हार के बाद शायद ही किसी को जिम्मेदार माना जाता है। हमारे सामने उत्तर प्रदेश, पंजाब के विधानसभा परिणाम हैं। इतने दिन बीतने के बाद भी बैठकें हो रही हैं पर हार की जिम्मेदारी तय नहीं हो पा रही है। दिल्ली में अकेले मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जिम्मेदार मानना सही नहीं है। बेशक दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटना शीला जी का आइडिया था और इस हद तक हार के लिए वह जिम्मेदार हो सकती हैं पर दिल्ली से तमाम कांग्रेसी सांसद, दिल्ली सरकार के मंत्री व विधायक भी कम जिम्मेदार नहीं। पहले बात करते हैं सांसदों की। सबसे ज्यादा खराब हालत नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की रही जहां केंद्रीय मंत्री अजय माकन की पसंद से टिकट बांटी गई। इस क्षेत्र में 32 वार्ड हैं और कांग्रेस को सिर्प सात वार्डों पर जीत मिल सकी। यहां से कांग्रेस के तीन बागी जीतने में सफल रहे। बीजेपी ने यहां सबसे ज्यादा 22 सीटों पर परचम फहराया। वेस्ट दिल्ली के सांसद महाबल मिश्र के इलाके में कांग्रेस की टिकटों के लिए घमासान हुआ और नतीजा यह निकला कि 10 सीटें ही कांग्रेस को मिल सकीं। बीजेपी 19 पर जीती। बीएसपी एक और आरएलडी दो सीटों पर काबिज हुई। कई दागी जीत गए। केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ को टिकटों के वितरण के दौरान अपने विधायकों का विरोध सहना पड़ा और कांग्रेस ने उनके इलाके में भी खराब प्रदर्शन किया। यहां कांग्रेस 11 सीटें ही जीत पाई। बीएसपी को सबसे ज्यादा छह सीटों पर सफलता मिली। प्रदेशाध्यक्ष और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से सांसद जयप्रकाश अग्रवाल को फ्रीहैंड मिला लेकिन उनकी स्थिति भी काफी विकट रही। वह 12 उम्मीदवारों को ही जिता सके। कांग्रेस के हैवीवेट मंत्री कपिल सिब्बल चांदनी चौक से हल्के ही साबित हुए। यहां कांग्रेस को 14 सीटें मिलीं। बीजेपी को 21 सीटें मिली जबकि शोएब इकबाल आरएलडी टिकट पर तीन सीटें जिता पाए। बीएसपी को एक और एक निर्दलीय को जीत मिली। हालांकि सीएम के बेटे संदीप दीक्षित भी आधे नम्बरों से भी पास नहीं हो सके और 15 सीटें ही जिता सके लेकिन बाकी सांसदों से इनका प्रदर्शन बेहतर रहा। बीजेपी ने ईस्ट दिल्ली से 18 सीटें जीती यानी कांग्रेस से सिर्प तीन ज्यादा पर तीन बागियों ने खेल बिगाड़ दिया। अब बात करते हैं दिल्ली सरकार में कांग्रेसी मंत्रियों की। सभी छह मंत्रियों की परफार्मेंस खराब रही। सबसे बुरा हाल सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ. एके वालिया का रहा। उनकी विधानसभा लक्ष्मी नगर में चारों वार्डों किशन पुंज, लक्ष्मी नगर, शकरपुर व पांडव नगर में कांग्रेस हार गई। सरकार के दूसरे मंत्री हारुन यूसुफ भी अपनी विधानसभा बल्लीमारान के तीन वार्डों में पार्टी प्रत्याशी को जिता नहीं पाए। उनके वार्ड बल्लीमारान, राम नगर, कसाबपुरा में पार्टी प्रत्याशी हार गए जबकि एकमात्र वार्ड ईदगाह रोड में पार्टी लाज बचा पाई। रमाकान्त गोस्वामी की राजेन्द्र नगर विधानसभा में तीन वार्ड राजेन्द्र नगर, इन्द्रपुरी, नारायणा में पार्टी प्रत्याशी हार गए जबकि पूसा वार्ड में ही कांग्रेस जीती। यही हाल समाज कल्याण मंत्री प्रो. किरण वालिया का रहा है। उनकी विधानसभा मालवीय नगर के तीन वार्ड मालवीय नगर, सफदरजंग एन्क्लेव, हौजखास में कांग्रेस प्रत्याशी को हार मिली जबकि एक सीट विलेज हौजरानी में पार्टी अपनी जीत दर्ज कर सकी। राजकुमार चौहान का बहरहाल रिकॉर्ड बराबरी पर छूटा। उनकी विधानसभा मंगोलपुरी के चार वार्ड में से दो मंगोलपुरी ईस्ट और मंगोलपुरी में पार्टी प्रत्याशी जीते हैं जबकि रोहिणी साउथ व मंगोलपुरी वेस्ट में हार गए। हार-जीत के रिकॉर्ड में मंत्री अरविन्दर सिंह लवली का रिकॉर्ड बेहतर माना जा सकता है। उनके विधानसभा गांधी नगर के चार में से तीन वार्ड, धर्मपुरा, गांधी नगर और रघुबरपुरा में पार्टी प्रत्याशी जीते जबकि आजाद नगर में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इसी तरह यमुना पार विकास बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र नाथ अपने चारों वार्ड हार गए हैं तो दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष डॉ. योगानन्द शास्त्राr चार में से दो और वरिष्ठ विधायक मुकेश शर्मा के तीन वार्डों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर बीजेपी के वरिष्ठ विधायकों की परफार्मेंस ठीक मानी जा सकती है। प्रतिपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा तीन, जगदीश मुखी दो और डॉ. हर्ष वर्धन के दो वार्डों में बीजेपी प्रत्याशियों ने फतह हासिल की। इसलिए अकेले शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना गलत है। इस हमाम में तो सभी नंगे हैं। विधानसभा चुनाव डेढ़ साल बाद होने हैं। अगर कांग्रेसी सांसदों, मंत्रियों और विधायकों का यही हाल रहा तो अंजाम भुगतने के लिए कांग्रेस आला कमान को तैयार रहना होगा।
Anil Narendra, Congress, Daily Pratap, Elections, MCD, Sheila Dikshit, Vir Arjun

No comments:

Post a Comment