Monday, 9 April 2012

राहुल लगे यूपी चुनाव के पोस्टमार्टम में

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 9 April 2012
अनिल नरेन्द्र
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार से कांग्रेस हाई कमान अभी तक उभर नहीं सका। राहुल गांधी तो ऐसे कोपभवन में गए हैं कि अब वह यूपी के किसी दलित के घर खाना खाते नजर नहीं आ रहे। हार के एक महीने के बाद अब राहुल ने चुनावों का पोस्टमार्टम करने की हिम्मत जुटाई है। पिछले दो दिनों से राहुल हारे हुए सिपाहियों को बुलाकर पूछ रहे हैं कि आखिर हम क्यों हारे? हार के कारणों की तलाश में जुटे राहुल ने हारे हुए उम्मीदवारों से यह पूछा कि आखिर क्या वजह रही कि पूरी मेहनत के बाद भी पार्टी का शर्मनाक प्रदर्शन रहा? हारे हुए उम्मीदवारों ने कई कारण गिनाएं। तकरीबन सभी ने कुछ मुद्दों पर बहुत जोर दिया। पहला तो था कि कमजोर संगठन बहुत भारी पड़ा। गलत उम्मीदवार का चयन एक हार का कारण बना। इसके साथ प्रचार में राजनीतिक चूक का मुद्दा उठाकर हारे हुए सिपाहियों ने कुछ केंद्रीय मंत्रियों पर जमकर भढ़ास निकाली। पराजित उम्मीदवारों ने कहा कि कानून मंत्री को मुस्लिम आरक्षण का वादा करना पार्टी पर बहुत भारी पड़ा। इसी तरह श्रीप्रकाश जायसवाल का यह बयान कि अगर किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा मतदाताओं को बहुत चुभा और उन्होंने प्रतिक्रिया स्वरूप समाजवादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत दे दिया। बेनी प्रसाद वर्मा का मुस्लिम कोटे में सब कोटा भी मतदाताओं खासकर मुस्लिमों को बेवकूफ बनाने का एक असफल प्रयास माना गया। कमजोर संगठन के मुद्दों पर उम्मीदवार रहे सुरेन्द्र गोयल ने कहा कि दूसरी कतार के कुछ बड़े नेताओं ने निरर्थक बयानबाजी की, इससे काफी नुकसान हुआ। कुछ अन्य नेताओं ने भी यही आरोप दोहराया। इशारा दिग्विजय सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे नेताओं के विवादित बयानों की ओर था। बाहरी लोगों को टिकट देने का मामला बैठक में आया तो आपस में ही बहस हो गई। क्योंकि ज्यादातर फौज चुनाव में बाहर से ही इकट्ठा हुई थी। समीक्षा बैठक में आए लोगों में भी ज्यादा ऐसे ही थे जो चुनाव के दौरान कांग्रेसी हुए थे। गुरुवार को राहुल ने उन पराजित उम्मीदवारों से बातचीत की जिन्होंने इस चुनाव में 20 हजार या उससे ज्यादा वोट हासिल किए। पराजित उम्मीदवारों को एक प्रश्नावली भी दी गई जिसमें 13 सवाल पूछे गए। जैसे उन्हें चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व, प्रदेश कांग्रेस समिति, प्रदेश अध्यक्ष, महिला कांग्रेस और सेवा दल से क्या सहयोग मिला? हालांकि पूरे सूबे में घूमने वाले और कड़ी मशक्कत करने वाले राहुल गांधी को किसी ने सीधा निशाना तो नहीं बनाया पर हां, उनके मैनेजरों पर सवाल जरूर उठाए। स्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में अपने ऊटपटांग बयानों के लिए चर्चा में रहे कांग्रेसी नेताओं की वाट लगनी तय है। सोनिया और राहुल दोनों ने साफ कर दिया है कि इन बयानों से चुनाव में पार्टी को नुकसान हुआ और अब नए कर्मठ चेहरों को आगे लाया जाएगा। राहुल को इस बात के लिए कड़ी आलोचना सहनी पड़ी कि वे सिर्प चन्द नेताओं से ही घिरे रहते थे जिससे पूरा परिपेक्ष उनके सामने नहीं आ पाता था।
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