पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जिद और अक्कड़पन से अब सब परिचित हो चुके हैं। लगता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तो उनमें अहंकार और तानाशाह प्रवृत्ति में इजाफा हो गया है। अब तो वह अपने खिलाफ बना कार्टून को भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्टून लगाने के आरोप में जादवपुर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्टून दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटाकर उनकी जगह मुकुल रॉय को नया रेल मंत्री बनाने के संदर्भ में यह कार्टून बनाया गया था। रसायन शास्त्र के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्रा की गिरफ्तारी से आक्रोश फैल गया और माकपा एवं शैक्षणिक समुदाय ने कहा कि पुलिस कार्रवाई बिल्कुल दमनात्मक है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकार पर स्पष्ट हमला है। बाद में अलीपुर की अदालत ने प्रोफेसर को जमानत पर रिहा कर दिया। प्रोफेसर महापात्रा ने आरोप लगाया कि कार्टून डालने के कारण गुरुवार रात तृणमूल कांग्रेस के 15 समर्थकों ने उनके साथ बदसलूकी भी की। प्रोफेसर ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस कर रहे हैं। वहीं विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल माकपा ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अखबारों पर अंकुश लगाकर लोकतंत्र और आजीविका के अधिकार पर हमला कर रही है। वहीं पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कार्टून विवाद पर कहा कि कार्टून लोकतंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि कार्टून स्वस्थ लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है। कार्टून आपकी छवि को खराब नहीं कर सकते हैं। माकपा के वरिष्ठ नेता अब्दुर रज्जाक मोल्ला ने शनिवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार अखबारों पर अंकुश लगाकर लोकतंत्र और आजीविका के अधिकार पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरमान जारी किया कि सरकारी पुस्तकालयों में सिर्प चुनिंदा अखबार ही रखे जाएं। सरकार विरोधी अखबारों के लिए पुस्तकालय में कोई जगह नहीं है। मोल्ला ने स्टूडेंट्स हॉल में माकपा (माले) लिबरेशन की ओर से आयोजित सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं सम्मेलन में मौजूद कवि नवारुण भट्टाचार्य ने कार्टून बनाने वाले के खिलाफ कार्रवाई को राज्य सरकार की मनमानी और अराजकता कहा। शिक्षाविद् सुनन्दा सान्याल ने प्रोफेसर की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने राज्य में सत्ता परिवर्तन का नारा उछाल कर सत्ता हथियाने में कामयाबी हासिल की। सच तो यह है कि राज्य में कहीं भी परिवर्तन की झलक नहीं दिख रही है। यह दुःखद, दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है। ममता धीरे-धीरे फासिस्ट होती जा रही हैं। हमारा मानना है कि ममता बनर्जी में अपने खिलाफ किसी प्रकार की आलोचना या व्यंग्य बर्दाश्त करने की क्षमता कम होती जा रही है। लोकतंत्र में कार्टून बनाना कोई अपराध नहीं है और ऐसा रोकना प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करना है। जिस तरह से ममता चल रही हैं उससे तो यही लगता है कि वह बहुत तेजी से अलोकप्रिय हो जाएंगी और उनकी बनी छवि धूमिल हो जाएगी। वाम नेताओं से उनको इतनी नफरत है कि वह अब यह भी ठीक से फैसला नहीं कर पा रही कि क्या ठीक है क्या गलत?
Anil Narendra, Daily Pratap, Kolkata, Mamta Banerjee, Trinamool congress, Vir Arjun, West Bengal
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