इंडोनेशिया के पास समुद्र में आए दो जबरदस्त भूकम्पों से बुधवार को भारत से लेकर आस्ट्रेलिया तक धरती कांप उठी। दोपहर बाद आए भूकम्प के बाद हिंद महासागर क्षेत्र के तमाम देशों में सुनामी का खौफ बना रहा। शुक्र है कि कहीं भी सुनामी नहीं आई। इंडेनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास आए इन भूकम्पों की तीव्रता 8.5 और 8.2 मापी गई। इसका केद्र बंदा असेह से 435 किमी दूर और समुद्र तल से 33 किमी की गहराई में था। वर्ष 2004 में बंदा असेह में आए भूकम्प के बाद उठी सुनामी लहरों ने भारत समेत कई देशों में कहर बरपाया था, जिसमें दो लाख से अधिक लोगों की जानें चली गई थीं। इन दो भूकम्पों का असर भारत पर भी पड़ा। कोलकाता, भुवनेश्वर व दिल्ली तक इससे प्रभावित हुए। मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि भगवान न करे अगर दिल्ली एनसीआर में इतना तीव्र भूकम्प आए तो क्या होगा? पांच मार्च को एनसीआर में सिर्प 4.9 तीव्रता का भूकम्प आया था तो इसी से पूरे इलाके में दहशत फैल गई थी। दिल्ली के ललिता पार्प हादसे की जो रिपोर्ट सरकार के सामने जस्टिस (रिटायर्ड) लोकेश्वर प्रसाद ने पेश की है उसमें साफ किया गया है कि मशरूम की तरह बने एनसीआर में भवन, अनियंत्रित निर्माण, भवन में बिना विशेषज्ञ की देखरेख के अल्ट्रेशन से भूकम्प प्रभावित जोन-4 वाली दिल्ली खतरे में है। न सिर्प भवन निर्माण उपनियम को सख्ती से लागू करने की जरूरत है बल्कि पुराने भवन के खतरों को परखने वाली स्टडी और री-डेवलपमेंट की सख्त जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार इंजीनियरिंग के बिना बनने वाले मकानों के खतरे के अलावा पानी के टैंक, बढ़ती आबादी के कारण अधिक जनसंख्या, बिना कंक्रीट के पिलर के मकान भूकम्प की दशा में बहुत खतरनाक हैं। दिल्ली में 1639 अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। इन अनाधिकृत कॉलोनी और अनाधिकृत नियमित कॉलोनी की इमारतें सुरक्षित नहीं हैं। निर्माण में इंजीनियरिंग का पालन नहीं हुआ, मकानों में बिना स्ट्रक्चर लोड टेस्ट के एक के बाद दूसरी मंजिल बनाई जा रही है। इससे मकान कमजोर होता जा रहा है। पूर्वी दिल्ली तो रेत पर खड़ी है। विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि मजबूत भवनों के लिए जरूरी है कि भवन कोड का पालन डिजाइनर स्तर पर हो। निर्माण में इस्तेमाल सामग्री उच्च गुणवत्ता की हो और सुपरविजन स्ट्रिक्ट हो। इतना ही नहीं पुराने मकान पर नई मंजिल या कोई अन्य बदलाव बिना एक्सपर्ट के किया जाता है तो वह खतरनाक है। इतना ही नहीं, भ्रष्टाचार मिटाने और सुरक्षा के लिए भवन निर्माण का कई स्तर पर थर्ड पार्टी आडिट कराए जाने की सलाह भी दी है। भूकम्प विशेषज्ञ बताते हैं कि एनसीआर में रिएक्टर स्केल पर 8 से ऊपर का भूकम्प आया तो हालात बहुत खराब होंगे। जनगणना 2011 के घरों के सर्वे में इस्तेमाल मैटेरियल को आधार बनाकर एनडीएमए के हिसाब से 92 फीसदी मकान ऐसे हैं जो परमपरागत तरीके से बने हैं। पिछले 2 सालों में भारत के बड़े इलाकों में 4 से 5 मध्य तीव्रता वाले भूकम्प आ चुके हैं। भू-गर्भ विज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि प्राकृतिक संसाधनों से ज्यादा खिलवाड़ का सिलसिला जारी रहा तो खतरा और बढ़ेगा। जरूरी है कि विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए सुझावों पर शीघ्र अति शीघ्र अमल किया जाए।
Anil Narendra, Daily Pratap, Delhi, Earthquake, Vir Arjun
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